जन्मदिन पर पार्टी का तोहफा ...ध्वाला को कारण बताओ नोटिस !

देहरा में भाजपा के डिसिप्लिन के दावों का खूब उड़ा है मखौल, आख़िरकार जागी पार्टी
न एक्शन न संवाद : ध्वाला प्रकरण में क्यों बस देखता रहा प्रदेश नेतृत्व !
लगातार उठ रहे सवालों के बाद आखिरकार जारी किया 'कारण बताओ नोटिस'
ध्वाला बोले, सोच-समझकर दिया जाएगा जवाब
लगातार प्रदेश भाजपा आलाकमान की आँख की किरकिरी बने पूर्व मंत्री रमेश चंद ध्वाला को आखिरकार पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। 12 अप्रैल को ध्वाला अपने समर्थकों के साथ 74 वां जन्म दिवस मना रहे थे, इसी बीच उन्हें ‘कारण बताओ नोटिस’ मिला है। पार्टी उनसे कई सवालों के जवाब मांगे हैं। आपको बता दें रमेश चंद ध्वाला लगातार हिमाचल भाजपा नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। ध्वाला ने खुद को असली भाजपा घोषित किया है। इतना ही नहीं देहरा में अपनी अलग कार्यकारिणी भी बना दी। कई महीनो से ध्वाला निरंतर हमलावर है , किन्तु पार्टी ने कोई डिसिप्लिनरी एक्शन नहीं लिया। ऐसे में भाजपा के डिसिप्लिन के दावों का भी मखौल उड़ रहा था। पर अब आखिरकार पार्टी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस तो थमा ही दिया है।
इस बारे में रमेश चंद ध्वाला ने कहा की पिछले अढ़ाई साल में उन्हें कोई चिट्ठी नहीं आई, न ही किसी कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया। पर अब जन्म दिवस पर बधाई की जगह कारण बताओ नोटिस भेजा गया है जिसका वह सोच समझकर जवाब देंगे।
आपको बता दें कि देहरा उपचुनाव में टिकट न मिलने के बाद से ही रमेश चंद ध्वाला ने पार्टी के विरुद्ध मोर्चा खोला हुआ है। आयातित नौ नेताओं को वे खुलकर नौ ग्रह बोलते रहे है और लगातार निष्ठावान कार्यकर्तों की अनदेखी के आरोप लगा रहे है। हालांकि उनके शिकवे-शिकायत पार्टी से नहीं है बल्कि हिमाचल भाजपा के शीर्ष नेताओं से है। इस बीच पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का समर्थन भी एक किस्म से ध्वाला को मिलता दिखा है।
इन सबके बीच निगाह होशियार सिंह पर भी रहने वाली है, जो निर्दलीय विधायक रहते इस्तीफा देकर भाजपा में आये। पहले होशियार सिंह को इस्तीफा देने की होशयारी महंगी पड़ी और फिर ध्वाला के लगातार हमलावर होने के बावजूद पार्टी का कोई एक्शन न लेना, बड़ा सवाल खड़े करता है। हालांकि अब कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद उनके समर्थकों को उम्मीद है की पार्टी खुलकर अपना स्टैंड क्लियर करेगी। हालांकि माहिर अब भी मान रहे है कि भाजपा में ध्वाला के भविष्य को लेकर अब भी कुछ कहना जल्दबाजी होगा। संभव है कि अगर प्रदेश अध्यक्ष बदला जाता है तो सुलह का रास्ता भी निकल आएं।