'मासूम' कांग्रेस पांच साल जयराम की 'ब्रांडिंग' करती रही !
मंडी में कांग्रेस 'ठंडी' ...क्या है कांग्रेस का रिकवरी प्लान ?
चंद्रशेखर इकलौते विधायक, तो ठाकुर कौल सिंह अब भी सबसे बड़ा चेहरा
क्या दोनों का सियासी बल बढ़ाकर पटरी पर लौटेगी कांग्रेस ?
2022 के विधानसभा चुनाव से पहले मंडी में कांग्रेस के हालत-ए-हाल पर फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया ने एक विश्लेषण किया था, शीर्षक था "ख़ाक होने का अंदेशा है ख़ुदा ख़ैर करें" तब कांग्रेस के कई नेताओं को ये शीर्षक खूब चुभा, जाहिर है वे इससे इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते थे। फिर नतीजे आएं तो शीर्षक पर जनता की मुहर लग गई। दरअसल, विपक्ष में रहते कांग्रेस खुद ढोल पिटती रही कि जयराम ठाकुर तो सिर्फ मंडी के मुख्यमंत्री है, सारा विकास सिर्फ मंडी में हो रहा है। यानी एक किस्म से पांच साल कांग्रेस के नेताओं ने मंडी में भाजपा के काम का जमकर प्रचार किया, जयराम ठाकुर को मंडी में ब्रांड बना दिया। इस पर हिमाचल कांग्रेस की मासूमियत देखिये, 2022 में वही कांग्रेस उम्मीद कर रही थी कि मंडी की जनता उन्हें वोट देगी। तब कांग्रेसी नेताओं ने बात समझते-समझते बहुत देर कर दी।
चलो, जो बीत गई गई सो बात गई। बरहहाल बात करते है मंडी में कांग्रेस के लिए आगे क्या सम्भावना है। क्या मंडी में कांग्रेस के लिए कुछ तुरुस्त हुआ है ? क्या अब मंडी के मर्ज को कांग्रेस समझ पाई है ? क्या भविष्य के लिए कांग्रेस तैयार है ? हकीकत ये है कि अब भी दस सीटों वाला जिला मंडी हिमाचल कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी दिखता है। इसके दो कारण है, पहला है जयराम ठाकुर जो बीजेपी का प्राइम फेस है और इसका एडवांटेज बीजेपी को मंडी में मिल रहा है। दूसरा कारण है कांग्रेस में कोई मजबूत फेस का न होना। दरअसल सियासत में ताकत पद से मिलती है। जिला में पार्टी के इकलौते विधायक है चंद्रशेखर, जिनकी क्षमता पर भी कोई संदेह नहीं। विधायक महोदय को पार्टी ने सरकार में तो कोई अहम् पद नहीं दिया, लेकिन संगठन में कार्यकारी अध्यक्ष जरूर बनाया था। अब कांग्रेस संगठन में कार्यकारी अध्यक्ष पद का औचित्य क्या और कितना रहा है, ये अलग से विवेचना का विषय है। पर लब्बोलुआब ये है कि इसका ख़ास जमीनी असर मंडी में नहीं दिखा। वहीँ ,अब भी मंडी में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे की बात करें तो बगैर किसी संकोच के ठाकुर कौल सिंह का नाम जुबां पर आता है, लगातार दो चुनाव हारने के बावजूद। वे भी एक किस्म से साइडलाइन है।
माहिर मानते है कि मंडी में कांग्रेस अपने इकलौते विधायक चंद्रशेखर और धरोहर नेता ठाकुर कौल सिंह की ताकत बढ़ा कर रिकवरी का ब्लू प्रिंट तैयार कर सकती है। अगर अप्रैल के बाद पीसीसी चीफ को बदला जाता है तो मुमकिन है चंद्रशेखर के नाम पर गंभीरता से विचार हो। यानी मंडी को कांग्रेस संगठन की कमान दी जा सकती है। जहाँ तक सवाल कैबिनेट में चंद्रशेखर की एंट्री का है, इसकी सम्भावना फिलहाल कम है। अगर मंडी संसदीय हलके से किसी की एंट्री के लिए पार्टी गुंजाईश बनती भी है तो संभव है कुल्लू विधायक सूंदर ठाकुर ही पहली पसंद हो। फिर भी इस सम्भावना को पूरी तरह ख़ारिज नहीं किया जा सकता। इसी तरह वरिष्ठ नेता ठाकुर कौल सिंह को भी किसी महत्वपूर्ण बोर्ड निगम में एडजस्ट करने की चर्चा काफी वक्त से है। बहरहाल सरकार और संगठन में मंडी को कितना अधिमान मिलेगा, इसी पर निर्भर करेगा भविष्य में मंडी कांग्रेस पर कितनी मेहरबान रहती है।