हमीदा बानो : हिन्दुस्तान की वो शेरनी जिसे कोई माई का लाल नहीं हरा सका
उस दौर में जब भारत में महिलाओं का कुश्ती लड़ना की स्वप्न से काम नहीं था तब हमीदा बानो ने मर्द पहलवानों के सामने एक चुनौती रखी। मई 1954 में 32 वर्षीय इस महिला पहलवान ने मर्द पहलवानों के सामने एक चुनौती रखते हुए कहा, "जो मुझे दंगल में हरा देगा, वह मुझसे शादी कर सकता है।" इससे पहले वह फ़रवरी 1954 से दो मर्द पहलवान चैंपियनों को हरा चुकी थीं जिनमें से एक पटियाला से था और दूसरा कोलकाता से।
इस बार बाबा पहलवान ने चुनौती स्वीकार की। समाचार एजेंसी 'एपी' की उस समय की रिपोर्ट के अनुसार यह मुक़ाबला महज़ एक मिनट और 34 सेकंड तक चला जिसमें हमीदा बानो ने बाबा पहलवान को चित कर दिया। हार के बाद बाबा पहलवान ने तुरंत घोषणा कर दी कि यह उनका आख़िरी मैच था।
भारत की पहली महिला पेशेवर पहलवान हमीदा बानो उस दौर में रौशनी की एक किरण थी जब महिलाओं को कमज़ोर और अबला समझा जाता था। उस समय की रिपोर्टों के मुताबिक़ उनका वज़न 107 किलो था और क़द 5 फ़ुट 3 इंच था। रोज़ाना की ख़ुराक में साढ़े पांच किलो दूध, पौने तीन किलो सूप, लगभग सवा दो लीटर फलों का जूस, एक मुर्ग़ा, लगभग एक किलो मटन, 450 ग्राम मक्खन, 6 अंडे, लगभग एक किलो बादाम, 2 बड़ी रोटियां और 2 बिरयानी की प्लेटें शामिल थीं। कहते हैं वह एक दिन में नौ घंटे सोती थीं और छह घंटे व्यायाम करती थीं। उन्हें 'अलीगढ़ की एमेज़ॉन' कहा जाने लगा। दरअसल अमेजॉन अमेरिका की एक मशहूर पहलवान हुआ करती थी और हमीदा बानो की उनसे तुलना की जा रही थी।
1954 में ही हमीदा ने दावा किया कि वह अब तक अपने सभी 320 दंगल जीत चुकी हैं।
फिर उन्होंने पुरुष पहलवानो को चुनौती दे दी। जगह थी बड़ोदा। भारत में पहली बार कोई महिला मर्द पहलवान से कुश्ती लड़ रही थी। शहर में इस मुकाबले की घोषणा तांगे और लॉरियों पर बैनर और पोस्टर लगाकर की गई थी, जैसा कि फ़िल्मों के प्रचार के लिए किया जाता था। उस समय के अख़बारों के अनुसार यह साफ़ है कि बड़ौदा में उन्होंने बाबा पहलवान को पटकनी दी थी। ये भी कहते हैं तब छोटे गामा पहलवान ने अंतिम समय में हमीदा बानो से कुश्ती लड़ने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि महिला के साथ वह कुश्ती नहीं लड़ेंगे।
कहते हैं उस दौर में जब हमीदा ने कई पुरुष पहलवानो को पराजित किया तो समाज के ठेकेदारों ने उन्हें बुरा-भला कहा और उन पर पत्थर तक फेंके गए। इसी बीच 1954 में हमीदा बानो ने मुंबई में रूस की 'मादा रीछ' कहलाने वाली वीरा चस्तेलिन को भी एक मिनट से कम समय में शिकस्त दी थी और उन्होंने यूरोपीय पहलवानों से कुश्ती लड़ने के लिए यूरोप जाने का ऐलान कर दिया। पर इस ऐलान के बाद अचानक हमीदा कुश्ती के अखाड़े से ग़ायब हो गईं।
कहते हैं हमीदा के ट्रेनर सलाम पहलवान को यह बात मंज़ूर नहीं थी। उन्हें रोकने के लिए सलाम पहलवान ने उसे लाठियों से मारा और उनके हाथ तोड़ दिए। बताया जाता हैं कि सलाम पहलवान प्रभावशाली थे। हालाँकि इसकी सत्यता की कोई पुष्टि नहीं हैं। पर हमीदा ने अखाडा क्यों छोड़ा, ये सवाल अब भी हैं।