अखबार बेचने वाले की बेटी ने किया अंतरराष्ट्रीय किक बॉक्सिंग क्वालीफाई
देश में आज भी महिलाओं को अपनी जगह बनाने के लिए काफी मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। खेल, बिजनेस जैसे कई क्षेत्र हैं जहां बहुत कम ही महिलाएं आगे बढ़ पाती हैं। ऐसे में गुजरात की अक्षदा दलवी ने अपनी मेहनत से समाज और दकियानूसी सोच दोनों पर तमाचा मारते हुए एक मिसाल कायम किया है। दरअसल गुजरात के वडोदरा में अख़बार बेचने वाले व्यक्ति की बेटी अक्षदा दलवी ने अंतरराष्ट्रीय किक बॉक्सिंग के लिए क्वालीफाई किया है। अक्षदा ने बताया कि उसे बचपन से ही किक बॉक्सिंग का शौक था और उसने पांचवीं कक्षा से कराटे सीखना शुरू कर दिया था। अक्षदा अपने पहले नेशनल में गोल्ड मेडल जीत पूरे देश को गौरवांवित भी कर चुकी हैं।
बता दें कि किकबॉक्सिंग एरोबिक व्यायामों को एक रूप है, इसमें मिक्सड मार्शल आर्ट टेक्नीक का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक मार्शल आर्ट खेल है जिससे आपके शरीर को मजबूत बनाने का काम करता है. मार्शल आर्ट करने से इंसान कई तरह की बीमारी से भी बच सकता है साथ ही इससे शरीर में रक्त फ्लो भी बेहतर होता है। किक बॉक्सिंग की शुरूआत सबसे पहले साल 1930 में जापान में हुई थी। यह अमेरिका में 70 के दशक में पेश किया गया था। बता दें कि जापानी किकबॉक्सिंग के साथ किकबॉक्सिंग के कई अलग-अलग प्रारूप हैं, अमेरिकन किकबॉक्सिंग, मय थाई या थाई किकबॉक्सिंग।