बेबाक लखनपाल : धरातल से दूर, वीडियो कॉन्फ्रेंस पर व्यस्त जयराम सरकार
कोरोना काल में जहां एक ओर अपने भी मृतकों को कंधा तक नहीं दे रहे थे, वहीं एक नेता अपने परिवार संग कई अर्थियों को कंधा देने पहुंच गए और कई अंतिम संस्कार करवाएं। ये नेता है बड़सर विधायक इंद्रदत्त लखनपाल। स्वयं हिमाचल के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कोविड महामारी के दौर में इंद्रदत्त लखनपाल के काम की सराहना की। लखनपाल से प्रभावित होकर और भी कई नेता कोरोना काल में मददगार बनकर आगे आये। कांग्रेस नेता इंद्रदत्त लखनपाल जिला हमीरपुर की बड़सर सीट से लगातार दूसरी बार विधायक है और उन गिने चुने नेताओं में से है जो सहजता से जनता के बीच उपलब्ध रहते है। उनके विधानसभा क्षेत्र से जुड़े मुद्दों के साथ -साथ प्रदेश सरकार के कामकाज और प्रदेश कांग्रेस की वर्तमान स्तिथि पर फर्स्ट वर्डिक्ट ने उनसे विशेष बातचीत की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश ....
सवाल : हाल ही में आपका एक वीडियो सामने आया है जिसमें स्थानीय लोगों के कहने पर आप देर रात बिजली बोर्ड के दफ्तर पहुंच गए। ऐसा क्या हुआ था कि आपको देर रात वहां जाना पड़ा?
जवाब : उस दिन देर रात दस बजे मुझे चकमोह क्षेत्र के कुछ स्थानीय निवासियों ने फ़ोन किया और बताया कि उनके गांव में पिछले कुछ घंटो से लाइट नहीं है। कारण जानने के लिए मैंने बिजली बोर्ड के अधिकारियों से बात करनी चाही लेकिन मेरी बात उनसे नहीं हो पाई। इसके बाद मेरे पीए ने वहां के अटेंडेंट को फ़ोन किया तो आगे से अटेंडेंट का व्यवहार ठीक नहीं था, उसने अकड़ के ये जवाब दिया कि पांच बजे के बाद हमारी ड्यूटी नहीं होती है। कर्मचारियों का ऐसा व्यवहार देख कर मुझे लगा कि मुझे वहां जाना चाहिए और खुद मामले की जांच करनी चाहिए। मैं रात साढ़े दस बजे वहां पहुंचा और अटेंडेंट से तहज़ीब से पेश आने की बात कही। उसके बाद लाइन मेन को लेकर हम फ़ॉल्ट वाली जगह पर पहुंचे, 2 घंटे तक हमने कोशिश की लेकिन फॉल्ट ठीक नहीं हो पाया। पर दूसरे दिन सुबह ही उस फॉल्ट को ठीक कर दिया गया। दरअसल जिन लोगों ने मुझे फ़ोन किया था, उनके घर पर देर रात सांप निकला था। लोग दहशत में थे कि कहीं दोबारा वो सांप न निकल जाए। दुःख तो मुझे इस बात का है कि जनता के प्रति कर्मचारियों का व्यवहार ठीक नहीं है। अगर विधायक के पीए से कर्मचारी ऐसे बात करते है तो जनता से किस तरह करते होंगे। उन्हें जनता की सेवा के लिए वेतन मिलता है और ये उनका कर्तव्य है कि वो जनता के साथ तहज़ीब से पेश आए।
सवाल : कोरोना काल के दौरान आपके विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की क्या स्थिति रही और लोगों को किन दिक्क्तों का सामना करना पड़ा ?
जवाब : कोरोना काल के दौरान बड़सर विस क्षेत्र की जनता को कई तरह की दिक्क्तों का सामना करना पड़ा है। हमने अधिक से अधिक राहत पहुंचाने की कोशिश की। फ़ूड सप्लाई और एम्बुलेंस की सेवा तो हमने जनता तक पहुंचाई ही, साथ ही जहां लोगों को पानी की दिक्कत आई वहां पानी के टैंकर भी पहुंचाए। स्वास्थ्य सुविधाओं की अगर बात करें तो हमीरपुर जिले में जो हॉस्पिटल है अभी वो निर्माणाधीन स्थिति में है। वहां अभी इंफ्रास्ट्रक्चर इतना बेहतर नहीं है कि क्षेत्र की समस्त जनता को सुविधा मिल पाए। आनन-फानन में एक ऑक्सीजन प्लांट यहां ज़रूर बनाया गया लेकिन वो भी काफी कम कैपेसिटी का है। इसी कारण हमीरपुर के जितने भी गंभीर रूप से बीमार मरीज़ थे उन्हें टांडा या नेरचौक रेफर किया गया, जहां अधिकांश लोगों को डॉक्टर बचा नहीं पाए। इससे लोगों के बीच एक भय का वातावरण बन गया था कि उन्हें टांडा या नेरचौक रेफर किया गया तो वो बच नहीं पाएंगे।
सवाल : 2017 में आप दूसरी बार बड़सर के विधायक बने। लगभग साढ़े आठ सालों से आप बड़सर के विधायक है। आपके कार्यकाल में विकास की रफ़्तार क्या रही है?
जवाब : विकास की बात करें तो पिछले 2 वित्त वर्षों में बड़सर विधानसभा क्षेत्र को भारी नुक्सान हुआ है। कोरोना काल के दौरान विकास के जो कार्य होने थे वो हो नहीं पाए। वैसे भी भाजपा सरकार के साढ़े तीन साल के कार्यकाल में विकास के नाम पर कुछ भी नहीं हो पाया है। पिछली वीरभद्र सरकार में जो योजनाएं स्वीकृत की गई थी उन्हीं का काम बड़सर विधानसभा क्षेत्र में चल रहा है और वो काम भी बेहद धीमी गति से चल रहा है। सरकार की जो प्रशासन पर पकड़ होनी चाहिए वो इस सरकार की नहीं है। बड़सर विधानसभा क्षेत्र में पानी की इतनी दिक्कत है कि मुझे खुद टैंकरों द्वारा लोगों को पानी मुहैया करवाना पड़ रहा है। सरकार का दायित्व बनता है कि अगर पानी नहीं है तो वो कोई वैकल्पिक व्यवस्था करे, लेकिन हिमाचल सरकार इस मसले पर मूकदर्शक बनी हुई है। सरकार बड़ी- बड़ी बातें करती है कि करोड़ों की योजनाएं शुरू कर दी, घर - घर में नल लगवा दिए, अरे वो नल तो आपने लगवा दिए पर वहां पानी कैसे पहुंचेगा। इस सरकार ने जनता के प्रति बिलकुल नकारात्मक रवैया अपनाया है, चाहे मुद्दा कोई भी हो। महंगाई ही देख लीजिये, पेट्रोल डीज़ल के दाम बढ़ गए, गैस सिलिंडर के दाम बढ़े है, इस सरकार के कार्यकाल में सरसों के तेल, रिफाइंड और दालों के दाम भी आसमान छू रहे है।
सवाल : महंगाई को लेकर भाजपा सरकार अक्सर ये तर्क देती है कि जब कांग्रेस की सरकार थी तब भी तो देश में महंगाई थी, तब भी कीमतें बढ़ती थी तो फिर अब इतना हंगामा क्यों ? इस तर्क पर आप क्या कहेंगे ?
जवाब : ये बड़ी दुख की बात है कि हिमाचल के मुख्यमंत्री इतने बचकाने बयान देते है। कांग्रेस के समय इतनी महंगाई नहीं थी। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह उन पहले मुख्यमंत्रियों में से थे जिन्होंने देश में पीडीएस सिस्टम को लागू किया। घरों में सस्ता राशन और सस्ती बिजली उपलब्ध करवाई. कांग्रेस के समय में अगर महंगाई बढ़ती भी थी तो ये लोग ऐसी हरकते करते थे जिसका अब कोई ज़िक्र नहीं है। ये लोग सर पर सिलिंडर लेकर व गले में आलू प्याज की माला पहन कर प्रदर्शन करते थे। आज ये लोग अपनी सरकार के खिलाफ क्यों प्रदर्शन नहीं कर रहे, अब इन्हें ये महंगाई क्यों नहीं दिखाई देती।
सवाल : सोशल मीडिया के माध्यम से आप छात्रों के प्रदर्शन का भी समर्थन कर रहे है, हिमाचल में यूजी की फाइनल ईयर की परीक्षाओं पर आपकी क्या राय है ?
जवाब : कांग्रेस पार्टी और युवा कांग्रेस विपक्ष में होने के नाते अपनी ज़िम्मेदारी को निभा रहे है। सत्ता में जो पार्टी है उसे तो सत्ता के अलावा कुछ दिखता ही नहीं। मुख्यमंत्री कहते है कि बच्चों को पढ़ने के लिए बहुत समय मिला। मैं मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से आग्रह करना चाहूंगा कि वो हमारे पहाड़ी क्षेत्रों का एक बार दौरा करें। हमारे बड़सर विधानसभा क्षेत्र में कई ऐसे गांव है जहां नेटवर्क ही नहीं है वहां बच्चे पढ़ेंगे कैसे ? जब बच्चे पढ़े ही नहीं तो परीक्षाएं कैसी। मेरा मानना है कि हिमाचल में छात्रों की ऑफ लाइन परीक्षाएं फिलहाल नहीं होनी चाहिए। हिमाचल प्रदेश में 3 हज़ार से ज्यादा मौतें हुई है और सरकार द्वारा मृतकों के परिजनों की कोई भी सहायता नहीं की जा रही। कई बच्चों का पाठ्यक्रम भी पूरा नहीं है तो बच्चे कैसे परीक्षाएं दे सकते है। कई बच्चों को अभी तक वैक्सीन नहीं लगी है और इसीलिए वे चिंतित है कि ऑफलाइन एग्जाम सेंटर में आखिर जाएं कैसे। अगर कोई बच्चा संक्रमित हो जाए तो फिर कौन ज़िम्मेदार है ? बच्चों का कहना है कि अगर हम ज़िंदा रहेंगे तभी तो पढ़ाई कर पाएंगे, इसीलिए जब तक बच्चों को वैक्सीन नहीं लग जाती तब तक परीक्षाएं नहीं होनी चाहिए। साथ ही हमारी एक और मांग ये भी है कि जिन बच्चों ने कोरोना काल के चलते अपने परिजनों को खोया है उनकी फीस माफ़ की जानी चाहिए।
सवाल : क्या आप बच्चों को डायरेक्ट प्रमोट करने के पक्ष में है या ऑनलाइन परीक्षाओं के ?
जवाब : सरकार ने जब 10वीं और 12वीं के बच्चों को प्रमोट कर दिया तो फिर इन बच्चों को प्रमोट करने में क्या दिक्कत है। हमारी मांग है कि यूजी के छात्रों को भी प्रमोट किया जाए ,उनकी अनदेखी न हो। ये सरकार खुद धरातल पर काम न करके पूरे दिन जूम मिटिंग पर बैठी रहती है, तो इन्हें लगता है की पूरे प्रदेश में सभी के पास ऐसी सुविधाएं होंगी, लेकिन ऐसा नहीं है। अब तो वैसे भी उपचुनाव नज़दीक आ गए है, अब तो ये सरकार सारे कामकाज बंद कर प्रचार में लग जाएगी। दिल्ली से इनके बड़े नेता आएंगे और फिर मुख्यमंत्री उन्हें हिमाचल भ्रमण करवाएंगे।
सवाल : कांग्रेस की वर्तमान स्थिति पर आपका क्या पक्ष है, क्या संगठन को संभालने में प्रदेश अध्यक्ष सक्षम दिख रहे है ?
जवाब : कांग्रेस का संगठन फिलवक्त बिलकुल दुरुस्त है और हम 2022 के लिए पूरी तरह तैयार है। कुलदीप सिंह राठौर जबसे हमारे प्रदेश अध्यक्ष बने है वो काम कर रहे है। अगर वो किसी को नापसंद है तो ये उनकी अपनी राय हो सकती है। वो स्वयं प्रदेश अध्यक्ष नहीं बने हैं, उन्हें सोनिया गांधी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। जो जिम्मेदारियां उन्हें दी गई है वे उसे निभा रहे है। कांग्रेस पार्टी भी मज़बूत है और कांग्रेस का कार्यकर्त्ता भी। बाकी छोटी बड़ी बातें तो होती रहती है। भाजपा भी एकजुट नहीं है, वहां भी कई गुट है। धूमल गुट कहता है धूमल को सीएम फेस बना कर इलेक्शन लड़ो, जयराम गुट कहता है जयराम ही सीएम फेस होंगे, इनमें भी खूब अंतर्कलह है। ये राजनीतिक पार्टिओं में चलता रहता है।
सवाल : 2022 में कांग्रेस का चेहरा कौन होगा ?
जवाब : हमारा चेहरा होगा कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह और सोनिया गांधी जी हमारा चेहरा होगीं, राहुल गांधी जी हमारा चेहरा होंगे और प्रदेश के जितने सीनियर नेता है हम सब मिलकर 2022 का चुनाव लड़ेंगे। हम सब मिलकर जनता के बीच जाएंगे, इस सरकार की पोल जनता के आगे खोलेंगे और कांग्रेस पार्टी को 2022 में एक बार फिर से सत्ता में लाएंगे।