मैं फाेटाे की राजनीति नहीं करता, जनता के दिलों में राज करता हूँ: तेजवंत सिंह नेगी
" ...2017 का विधानसभा चुनाव मात्र 61 वोट से हारे तेजवंत नेगी का कहना है कि जिन पदाधिकारियों काे चुनाव में जिम्मेदारी सौंपी जाती हैं, उसे कुछ लोग नहीं निभाते हैं। तेजवंत नेगी कहते हैं कि मैंने आज तक फाेटाे और सोशल मीडिया की राजनीति नहीं की, जनता के सुख-दुख में मैं हमेशा साथ रहता हूं। "
एक जिला और एक ही विधानसभा क्षेत्र यानी किन्नौर। यहां की सियासत में कभी कांग्रेस तो भाजपा हावी रहती है। 1985 से 2012 हुए सभी विधानसभा चुनाव में इस ज़िले की खासियत यह रही कि जिस राजनीतिक दल की सरकार बनती है उसी दल के नेता काे विधानसभा जाने का माैका मिलता है, लेकिन 2017 के चुनाव में विपरीत हुआ। सत्ता में बीजेपी आई ताे यहां कांग्रेस काे जीत मिली। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी पर 2017 में पार्टी उम्मीदवार रहे और पूर्व विधायक तेजवंत सिंह नेगी काे जयराम सरकार ने किसी बाेर्ड या निगम में कुर्सी नहीं दी। जबकि पार्टी के एक पदाधिकारी सूरत नेगी काे सरकार ने वन विकास निगम में उपाध्यक्ष नियुक्त किया। इसके बाद से ही किन्नौर भाजपा में अंतर्कलह की खबरें आम है। फर्स्ट वर्डिक्ट से प्रदेश भाजपा कार्यसमिति सदस्य एवं पूर्व विधायक तेजवंत सिंह नेगी ने अपने मन की बात कह दी। पेश है वार्ता के कुछ अंश...
सवाल: आप पूर्व विधायक है, पर जनता में आपकी सक्रियता कम दिखाई दे रही है। ऐसा क्याें?
जवाब: मैं जनता के बीच रहता हूं। मैं हमेशा से ही लाेगाें के सुख-दुख में साथ देता हूं। पर मैं फाेटाे और सोशल मीडिया की राजनीति नहीं करता और न ही भविष्य में ऐसा करूंगा। मेरा एक ही उद्देश्य रहता है कि किन्नौर की जनता का सुख-दुख में साथ देता रहूं। संगठन के सभी कार्यक्रमाें में उपस्थिति दर्ज करवाता हूँ, अपना दायित्व निभाता हूँ। वर्तमान में भी जिला किन्नौर ही नहीं, बल्कि प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमाें में भाग लेता रहा हूं। मैं फाेटाे की राजनीति से दूर रहता हूं और जनता के दिलों में राज करता हूं। आने वाले समय में भी यही टारगेट रहेगा।
सवाल: सत्ता में होने के बावजूद आपको किसी भी बोर्ड और निगम में जगह नहीं दी गई, इसके पीछे वजह क्या हाे सकती है?
जवाब: 2017 के चुनावों में पार्टी हाईकमान ने एक फरमान जारी किया था कि जो प्रत्याशी हैं उन्हें सरकार में बोर्ड या निगम में अध्यक्ष या उपाध्यक्ष जैसे पदों पर नियुक्ति नहीं दी जाएगी। बोर्ड और निगम में किसकी नियुक्ति होनी चाहिए और किसकी नहीं, यह सरकार का विशेषाधिकार है। मुझे कभी भी ऐसे पदाें की इच्छा भी नहीं रही। जिन नेताओं या पूर्व विधायकों काे पद मिल चुके हैं उसका मैंने कभी भी विरोध नहीं किया। मैं संगठन का एक सच्चा सिपाही हूं और किसी पद के लिए काम नहीं करता।
सवाल: 2017 के चुनाव में आप काफी कम मतों से पराजित हुए, कहां कमी रही?
जवाब: पार्टी ने मुझे प्रत्याशी के काबिल समझा और टिकट भी दिया गया। मैं चुनावी मैदान में उतरा और कांग्रेस से मात्र 61 मतों से हार का सामना करना पड़ा। किन्नौर की जनता चाहती थी कि मैं एक बार फिर से सेवा करने के लिए विधानसभा पहुंच जाऊं। पर संगठन में कुछ ऐसे भी लोग थे, जिन्हें पार्टी ने चुनाव जीतने का दायित्व सौंपा था, किन्तु उन्होंने उसे नहीं निभाया। मेरे पास पूरा रिकॉर्ड है कि किस पाेलिंग बूथ पर भाजपा काे कितने वोट पड़े। यही नहीं, चुनावों के दौरान संगठन के कुछ लाेगाें ने ही पार्टी विरोधी गतिविधियों काे बढ़ावा दिया।
सवाल: वन विकास निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी किन्नौर में काफी सक्रिय दिख रहे हैं, आप इस पर क्या कहेंगे ?
जवाब: मैं इस सवाल पर कोई कमेंट नहीं करना चाहता। वे संगठन के पदाधिकारी हैं और सरकार में किसी पद पर बैठे हैं तो किन्नौर में सक्रिय दिखते हाेंगे। इस मसले पर मुझे कुछ नहीं कहना है। मैंने युवा मोर्चा से लेकर जिला अध्यक्ष और प्रदेश कार्यसमिति में सक्रिय भूमिका निभाई है। मेरा एक ही मकसद है कि किन्नौर की जनता के बीच रहकर उनकी सेवा करूं, जो मैं कर रहा हूं। मगर कौन सक्रिय और कौन निष्क्रिय हैं, इससे कोई लेना-देना नहीं।
सवाल: अगले साल चुनाव होने हैं, पार्टी की ओर से टिकट तो आपको ही मिलेगा, सूरत नेगी अड़चन पैदा तो नहीं करेंगे?
जवाब: मैं बार-बार यही कह रहा हूं कि मैं संगठन का सच्चा सिपाही हूं। चुनाव में किसे टिकट देना है और किसे नहीं, यह फैसला पार्टी हाईकमान करता है। संगठन में कुछ लाेग टिकट की राजनीति भी करते हैं, लेकिन मेरी ऐसी मंशा नहीं हैं। टिकट मिले या न मिले मैं हमेशा जनता की सेवा ही करूंगा। मेरा इतिहास रहा है कि आज तक न तो पार्टी के खिलाफ काम किया है और न ही पार्टी विरोधी गतिविधियों काे अंजाम दिया। पूर्व के चुनाव में जिन लाेगाें ने ऐसी हरकत की, जिसके बारे में किन्नौर की जनता बखूबी जानती है।
सवाल: वर्तमान में विपक्ष की राजनीति क्या हिमाचल में हावी हो रही है?
जवाब: विपक्ष के पास न तो नेता है और न ही नेतृत्व। जहां तक किन्नौर के विकास की बात करूं यहां चाैरा से लेकर सुमरा तक का विकास पूर्व विधायक स्व. ठाकुर सेन नेगी की देन है। उन्हाेंने किन्नौर काे बिकने नहीं दिया, ठाेस कानून बनाया,जिसके चलते आज किन्नौर में गैर किन्नौरा व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता है। यह सबसे बड़ी उपलब्धी है। वर्तमान में कांग्रेस विपक्ष की भूमिका निभाने में पूरी तरह से विफल साबित हो चुकी है। कांग्रेस में सिर्फ पाेस्टर की राजनीति चलती है, जबकि विकास के नाम पर पार्टी का कोई योगदान नहीं हैं।