पवन राणा चुनाव लड़ना चाहे ताे मेरी ओर से खुली छूट: ध्वाला

अपनी बेबाक वाणी से अपनी ही सरकार -संगठन को घेरने के लिए ज्वालामुखी विधायक रमेश चंद ध्वाला अक्सर चर्चा में रहते है। कभी संगठन मंत्री के खिलाफ खुलकर बोलते है, तो कभी छोटे - बड़े मसलों पर सरकार को भी आइना दिखाने से नहीं चूकते। इन दिनों विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है और ध्वाला ने स्टोन क्रेशर के मुद्दे पर विधानसभा में उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर को घेर लिया। अलबत्ता, ध्वाला को जयराम कैबिनेट में स्थान नहीं मिला पर सरकार के गठन के बाद से ही ध्वाला भाजपा के उन नेताओं में से है जिन पर सबकी नज़र रहती है। आगामी उप चुनाव, संगठन मंत्री पवन राणा के साथ उनकी खींचतान और 2022 को लेकर फर्स्ट वर्डिक्ट ने रमेश चंद ध्वाला से विशेष बातचीत की....
सवाल: आप 1998 से लेकर भाजपा सरकार में मंत्री बने, लेकिन इस बार पद नहीं मिला, ऐसा क्या हुआ ?
जवाब: 1998 के चुनाव में मेरे समर्थन से ही बीजेपी की सरकार बनी थी। 1998 से लेकर 2003 तक भरपूर विकास कार्य हुए, जिसका श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल काे जाता है। मैंने उस समय से लेकर अब तक पारदर्शिता से काम किया है। अब तक के हुए चुनावाें में मैं चार बार एमएलए बना और दो बार कैबिनेट मंत्री भी बना। वर्तमान में मुझे कैबिनेट रैंक का दर्जा दिया गया है, जिसके लिए मैं सीएम जयराम ठाकुर का धन्यवाद करता हूं। मगर कैबिनेट रैंक देने के बावजूद मुझे पोर्टफोलियो नहीं दिया गया। मुझे कुर्सी की लालच नहीं हैं। जाे मिला वह ठीक है, जाे नहीं मिला उसकी आस नहीं रखता।
सवाल: सरकार और संगठन में तालमेल की कमी है या फिर सब कुछ ठीक चल रहा है?
जवाब: सरकार सही चल रही है, लेकिन संगठन में कुछ ऐसे लोग बैठे हैं जाे चमचाें काे तरजीह दे रहे हैं, जिससे संगठन काे ही नुकसान हाेगा। संगठन मंत्री पवन राणा के दिमाग में जो चल रहा है, इससे साबित हाे रहा है कि वे चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। मैं उन्हें साफ कह देता हूं कि पवन राणा यदि चुनाव लड़ना चाहे ताे मेरी ओर से खुली छूट होगी और मैं साथ दूंगा। मगर संगठन में ऐसी नियुक्तियां न करें जिससे पार्टी काे नुकसान हाे। बीते दिनों ज्वालामुखी भाजपा मंडल काे पहले भंग किया और बाद में उन्हीं लाेगाें काे बहाल किया गया। ऐसी स्थिति में आम कार्यकर्ता खुश नहीं हाेंगे।
सवाल: विधानसभा के अंदर और बाहर आप जनहित के मुद्दे उठाते हैं, क्या आप मानते है कि अफसरशाही सरकार पर हावी है?
जवाब: मैं हमेशा से ही जनहित के मुद्दे सदन के अंदर और बाहर उठाता हूं। प्रदेश में इस वक्त बेरोजगारी की जो स्थिति है वह दयनीय है। मैंने सरकार काे कह दिया है कि काेराेना काल में जिन लाेगाें की नौकरियां चली गई है उसे रिस्टोर किया जाए। प्रदेश में सबसे पहले नौकरी की जरुरत है। बेराेजगारी बढ़ रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लागू की गई पाॅलिसी काे अपनाने की जरूरत है। यहीं नहीं, बल्कि ऐसे लाेगाें काे मनरेगा के तहत काम करने का भी मौका मिल सके।
सवाल: पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और जयराम की कार्यप्रणाली में कितना फर्क है?
जवाब: प्रेम कुमार धूमल पूर्व में प्रदेश के सीएम रहे और वर्तमान में जयराम ठाकुर हैं। कुछ लोग वर्तमान सरकार को गुमराह करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। प्रदेश के हर सेक्टर में विकास कार्य हाे रहे हैं। मगर जहां पर भाजपा कार्यकर्ता नाराज हैं वहां पर सरकार और संगठन काे हट कर काम करना हाेगा। यानी गुण और दोष के आधार पर पदाधिकारियों की नियुक्ति होनी चाहिए। मैं बार-बार इस बात काे कह रहा हूं कि जिन नेताओं की पैठ जनता में नहीं होती उन्हें तरजीह नहीं दी जानी चाहिए। सीएम जयराम ठाकुर ने हर क्षेत्र में विकास कार्यों की रफ्तार बढ़ा दी है।
सवाल: प्रदेश में चार उपचुनाव भी तय हैं, ऐसे में सरकार और संगठन की तैयारियां कहां तक चली है?
जवाब: प्रदेश में होने वाले चार उपचुनावों के लिए भाजपा पूरी तरह से तैयार है, लेकिन जहां पर कुनबा बिखरा हुआ है उसे एकजुट करने की सख्त आवश्यकता है। संगठन में किसी के आने और जाने से काेई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जाे लाेग इस उम्मीद में आ रहे हैं कि उन्हें 2022 के चुनाव में टिकट मिलेगा,ऐसा संभव नहीं हाेगा। नेता ऐसा होता है जो आगे चलता है और उनके पीछे-पीछे लाेग चलते हैं। मगर पशुओं को हम आगे चलाते हैं और लोग पीछे से उन्हें डंडा मारते हैं, ऐसा संगठन में नहीं होना चाहिए।