103 साल पहले भारत में आया था 1 रूपए का नोट, इतने सालों में कोई सरकार नहीं कर पायी बंद

वो भी क्या ज़माना था जब एक रूपए के नोट से बच्चों के चेहरे खिलखिला उठते थे, उस समय वो एक रूपए का नोट किसी ख़ज़ाने से कम नहीं था , लेकिन क्या आप जानते हैं की ये छोटा सा एक रूपए का नोट आज 103 साल का हो गया है। 103 साल पहले 1917 में आज ही के दिन, यानि 30 नवंबर 1917 को पहली बार ये नोट लॉन्च किया गया था।
ऐसे हुआ एक रुपये के नोट की शुरुआत ........
इसकी शुरुआत का इतिहास भी बड़ा दिलचस्प है। वो दौर पहले विश्वयुद्ध का था, भारत में अंग्रेज़ो की हुकूमत हुआ करती थी। उस समय एक रुपये का सिक्का इस्तेमाल किआ जाता था जो चांदी का हुआ करता था, लेकिन युद्ध के चलते सरकार चांदी का सिक्का ढालने में असमर्थ हो गई तब हथियार बनाने के लिए कोलोनियल अथॉरिटी को चांदी समेत कई धातुओं की ज़रूरत थी। उस समय भारत में एक रुपए के सिक्के में 10.7 ग्राम चांदी होती थी, तो सिक्के के बजाय नोट छापे जाने शुरू हो गए। नोट में सिक्के के मुकाबले कम लागत आ रही थी और इस प्रकार 1917 में पहली बार एक रुपये का नोट लोगों के सामने आया। इसने उस चांदी के सिक्के का स्थान लिया। एक रुपए का नोट भारत में सबसे पहले 30 नवंबर, 1917 को लॉन्च हुआ था, जो इंग्लैंड से छपकर आया था। तब नोट वहीं छपते थे, जहां सत्ता का केंद्र होता था। इस पर ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम की तस्वीर छपी थी इसे हाथ से बनाए गए सफेद कागज पर छापा गया था, जिस पर तीन ब्रिटिश वित्त सचिव एमएमएस गूबे, एसी वाटर्स और ए. डेनिंग के हस्ताक्षर थे। ये 25 नोटों के पैकेट बनाकर भेजे गए थे।
1926 में किया गया था बंद.....
भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट के अनुसार इस नोट की छपाई को पहली बार 1926 में बंद किया गया क्योंकि इसकी लागत अधिक थी। इसके बाद इसे 1940 में फिर से छापना शुरु कर दिया गया जो 1994 तक जारी रहा। बाद में इस नोट की छपाई 2015 में फिर शुरु की गई। एक रुपए के नोटों की छपाई भले दो बार बंद हुई हो, लेकिन मार्केट में ये हमेशा लीगल रहे।
125 अलग-अलग तरीकों में छापा गया है ये नोट
1994 तक एक रुपए के नोट इंडिगो कलर में छापे जाते थे, लेकिन 2015 में जब नोट दोबारा छपने शुरू हुए, तो इसमें गुलाबी और हरा रंग जोड़ा गया। रिपोर्ट के मुताबिक 1917 से 2017 के बीच एक रुपए के नोट 125 अलग-अलग तरीकों से छापे गए। ये बदलाव अंकों और हस्ताक्षरों से जुड़ा होता था। कुछ स्पेशल सीरीज़ नोट भी थे, जैसे 1969 में गांधीजी के 100वें जन्मदिन पर उनकी फोटो के साथ खास सीरीज़ छापी गई थी। 2017 तक इस नोट में 28 बार बदलाव किए जा चुके थे और इस पर 21 बार हस्ताक्षर बदल चुके थे। आजादी के बाद 1949 में भारत सरकार ने एक रुपए की नोट से किंग जॉर्ज पंचम की फोटो हटाकर अशोक लाट की तस्वीर लगानी शुरू कर दी थी। हालांकि, सरकार पहले गांधीजी की फोटो लगाना चाहती थी, लेकिन बाद में ऐसा नहीं हो पाया।
इस नोट की खास बातें ......
- इस नोट की सबसे खास बात यह है कि इसे अन्य भारतीय नोटों की तरह भारतीय रिजर्व बैंक जारी नहीं करता बल्कि स्वयं भारत सरकार ही इसकी छपाई करती है।
- इस पर रिजर्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर नहीं होता बल्कि देश के वित्त सचिव का दस्तखत होता है।
- बाकी नोटों पर ‘मैं धारक को इतने रुपए अदा करने का वचन देता हूं’ लाइन लिखी होती है, लेकिन एक रुपए की नोट पर नहीं लिखी होती है। इसीलिए इस नोट को लाइबिलिटी माना जाता है।
- भारत सरकार को एक रुपए का नोट छापने का अधिकार Coinage Act के तहत है।
- एक रुपए के नोट के डिस्ट्रीब्यूशन की जिम्मेदारी RBI की ही होती है।
- कानूनी आधार पर यह एक मात्र वास्तविक 'मुद्रा' नोट (करेंसी नोट) है बाकी सब नोट धारीय नोट (प्रॉमिसरी नोट) होते हैं जिस पर धारक को उतनी राशि अदा करने का वचन दिया गया होता है।
- एक रुपये के नोट पर एक रुपये के सिक्के की तस्वीर भी छपी होती है, इसीलिए इसे कानूनी भाषा में इस रुपये को उस समय 'सिक्का' भी कहा जाता था।