धनवन्तरि दिवस के अवसर पर निःशुल्क चिकित्सा शिविर आयोजित
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर पंडित दीन दयाल उपाध्याय जिला आयुर्वेदिक चिकित्सालय, रबौन सोलन में निःशुल्क चिकित्सा शिविर आयोजित किया गया। शिविर की अध्यक्षता सहायक आयुक्त भानू गुप्ता ने की। भानू गुप्ता ने इस अवसर पर कहा कि केंद्रीय आयुष मंत्रालय के माध्यम से विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों को प्रोत्साहित कर रही है। विश्व को आयुर्वेद भारत की देन है और आयुर्वेद के माध्यम से लगभग सभी रोगों को उपचार संभव है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में प्रकृति के माध्यम से उपचार के विभिन्न तरीके बताए गए हैं। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद व्यक्ति की तासीर के अनुरूप उपचार उपलब्ध करवाता है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि आयुर्वेद द्वारा स्थापित नियमों एवं ऋतुचर्या को जीवन में अपनाएं। जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. राजेंद्र शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस प्रतिवर्ष धनवन्तरि जयंती के अवसर पर आयोजित किया जाता है। उन्होंने कहा कि भगवान धनवन्तरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है। उन्होंने कहा कि इस दिवस पर यह प्रयास किया जाता है कि आयुर्वेद से जन-जन को लाभान्वित किया जाए। उन्होंने कहा कि भगवान धनवन्तरि आरोग्य, स्वास्थ्य, आयु और तेज के आराध्य देवता हैं। भगवान धनवन्तरि से आज के दिन प्रार्थना की जाती है कि वे समस्त जगत को निरोग कर मानव समाज को दीर्घायुष्य प्रदान करें।
आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. आशा मधानिया ने कहा कि शरीर और प्रकृति के अनुकूल देश, काल आदि का विचार करना, नियमित आहार-विहार, चेष्टा, व्यायाम, शौच, स्नान, शयन, जागरण आदि स्वथ जीवन के लिए उपयोगी सूत्र हैं। उन्होंने कहा कि दिनचर्या, रात्रिचर्या एवं ऋतुचर्या का पालन करना, प्रत्येक कार्य विवेकपूर्वक करना तथा आयुर्वेद द्वारा स्थापित नियमों के पालन से हम बुढ़ापे में भी निरोग रह सकते हैं। उन्होंने ऋतुचर्या के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि हमारे मनीषियों ने वर्ष को छह ऋतुओं में विभाजित किया है। आयुर्वेद में इन ऋतुओं के अनुसार खान-पान के नियम निर्धारित किए गए है। आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. लोकेश ममगई ने कहा कि शरीर की शक्ति और अशक्ति का विचार कर कोई कार्य करना, मल, मूत्र आदि के वेग को न रोकना, ईर्ष्या, द्वेष, लोभ, अहंकार आदि से बचना, समय-समय पर शरीर में संचित दोषों को निकालने के लिए वमन, विरेचन आदि के प्रयोग से शरीर की पूर्ण शुद्धि होती है। योग भारती के राष्ट्रीय संयोजक श्रीनिवास मूर्ति ने सभी से आग्रह किया कि प्रकृति के समीप रहकर प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग करें। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने हमें लगभग सभी रोगों का उपचार पेड़-पौधों के माध्यम से उपलब्ध करवाया है। जड़ी-बूटियों के प्रयोग से जटिल से जटिल रोगों का सरल उपचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सभी को नियमित रूप से योग एवं व्यायाम करना चाहिए। इस अवसर पर औषधीय पौधों की प्रदर्शनी लगाई गई और विभाग द्वारा दीर्घायु विषय पर नारों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया गया। शिविर में लगभग 180 व्यक्तियों का निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और रोगानुसार औषधियां उपलब्ध करवाई गई। इस अवसर पर जिला आयुर्वेदिक अस्पताल की प्रभारी डॉ. अनीता गौतम, डॉ. मंजेश, डॉ. अरविंद गुप्ता सहित अन्य आयुर्वेदिक चिकित्सक, गणमान्य व्यक्ति, पैरामेडिकल कर्मचारी एवं अन्य उपस्थित थे।