श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन रुक्मणी विवाह के प्रसंग का किया उल्लेख
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा राजा पदम सिंह मैमोरियल स्टेडियम में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिवस की कथा में कथा व्यास साध्वी भद्रा भारती ने रुक्मणी विवाह के प्रसंग का उल्लेख किया। इस प्रसंग में उन्होंने रुकमणी रूपी जीवात्मा का अपने प्रभु के प्रति तड़प को दर्शाया साथ ही यह भी प्रकट किया कि कैसे इस आत्मा की पुकार पर वह परमात्मा प्रभु उसे समस्त बंधनों से स्वतंत्र कर अपने कभी ना टूटने वाले प्रणय सूत्र में बांध लेते है। रुक्मणी विवाह के अवसर पर सुंदर झांकी बनाई गई। बधाई के सुंदर गीत गाए गए। सभी भक्तों ने नाच गाकर रुक्मणी विवाह को मनाया। साध्वी ने कहा कि राजा परीक्षित की मुक्ति केवल हरि चर्चा व कृष्ण लीलाओं को श्रवण करने मात्र से नहीं हुई अपितु पूर्ण गुरु सुखदेव महाराज के द्वारा प्रभु के तत्व रूप को अपने अंदर जान लेने पर हुई थी। साध्वी ने कहा कि सभी संशयो का नाश गुरु द्वारा दिव्य नेत्र प्राप्त होने पर ही होता है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन का मोह नष्ट करते हुए भी यही कहा था कि मैं तुझे दिव्य चक्षु प्रदान करता हूं। दिव्य चक्षु से परमात्मा के वास्तविक स्वरूप का दर्शन होता है। कथा का प्रारंभ विधिवत पूजन से हुआ इसमें राकेश के परिवार ने हिस्सा लिया। कथा में विशेष रूप से राहुल जी (सह जिला कार्यवाह विहिप, अर्की), राधा रमण(प्रधान हाटकोट मन्दिर), विनोद भारद्वाज(उपप्रधान हाटकोट मन्दिर), माता पुष्पा देवी, अक्षरेश शर्मा, रणजीत ठाकुर, जय प्रकाश शर्मा आदि ने प्रभु के दरबार मे हाजरी लगाई। सभी भगतों के लिए भण्डारे की व्यवस्था भी की गई।