शालिग्राम व तुलसी का विवाह हुआ संपन्न
भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम की बारात प्रचीन वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों पर देवेंद्र महंत कुनिहार के घर से निकली व गमजून मदन के घर पहुंची। जंहा पर भगवान शालिग्राम का वधु पक्ष (तुलसी )की ओर से मदन के परिवार द्वारा भव्य स्वागत किया गया। शनिवार सुबह कुनिहार से काफी संख्या में महिला पुरुष व बच्चे सज धज कर बराती बनकर नाचते गाते हुए बारात में शामिल हुए। पूरे रीति रिवाजों के साथ यह शादी संम्पन हुई। कुनिहार के प्रशिद्ध पण्डित कामेश्वर शर्मा ने बताया कि शालिग्राम व तुलसी विवाह के पीछे एक पुरातन कथा है। हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह कराए जाने का विधान है। इस दिन शुभ मुहूर्त में तुलसी और भगवान शालिग्राम का विधिपूर्वक विवाह होता है, इस विवाह की एक पौराणिक कथा है, इसे पढ़कर या सुनकर आप जान पाएंगे कि तुलसी कौन थीं और भगवान विष्णु को शालिग्राम स्वरूप कैसे प्राप्त हुआ।