नशे की दुष्प्रवृति से बचाव में अध्यापक महत्वपूर्ण-रमेश शर्मा
पुलिस उपाधीक्षक सोलन रमेश शर्मा ने कहा कि विद्यालय स्तर पर छात्रों को नशे की दुष्प्रवृति से बचाने में अध्यापक महत्वपूर्ण है। रमेश शर्मा आज एससीईआरटी सोलन में नशे की रोकथाम विषय पर आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में सोलन, सिरमौर, शिमला, बिलासपुर और ऊना जिलों के 28 प्रवक्ताओं ने भाग लिया। रमेश शर्मा ने कहा कि नशे की प्रवृति पर लगाम लगाने के लिए प्रशासन, पुलिस एवं समाज के सभी वर्गों का आपसी समन्वय आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में अध्यापक विशेष सहायक बन सकते है। छात्र सबसे अधिक समय विद्यालय में व्यतीत करते हैं और अध्यापक उन पर ध्यान देकर यह जान सकते है कि छात्रों की मनोवृति और आचरण में क्या बदलाव आ रहा है। उन्होंने आग्रह किया कि अध्यापक छात्रों का पढ़ाई के अतिरिक्त भी ध्यान रखें। उन्होंने इस अवसर पर विभिन्न प्रकार के मादक द्रव्यों और एनडीपीएस अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों की विस्तृत जानकारी प्रदान की। इस अवसर पर डॉ. अजय सिंह ने नशे के कारण युवाओं में होने वाले बदलाव की जानकारी दी। मनोचिकित्सक डॉ. कुशल वर्मा ने नशे के प्रभाव एवं पीडि़तों को नशे के प्रभावों से बचाने के लिए आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. हेमराज शर्मा ने कहा कि विद्यालय स्तर पर बच्चों को नशे के दुष्प्रभावों एवं नशे से पारिवारिक स्तर पर होने वाली हानियों के विषय में जागरूक किया जाना चाहिए। उन्होंने इस अवसर पर अध्यापकों द्वारा बच्चों के मार्गदर्शन के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने प्रवक्ताओं से आग्रह किया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में अर्जित की गई जानकारी को अपने-अपने विद्यालयों में व्यावहारिक प्रयोग में लाएं ताकि अधिक से अधिक संख्या में छात्रों को नशे से दूर रखने में सहायता मिल सके। रिसोर्स पर्सन मनीष तोमर ने कहा कि समाज को नशे के प्रति जागरूक करने में अध्यापकों के साथ-साथ अभिभावकों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इस अवसर पर प्रदेश सरकार द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे नशा निवारण अभियान की विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। यह अभियान 15 दिसंबर, 2019 तक पूरे प्रदेश में कार्यान्वित किया जा रहा है।