सत्ता हासिल होते ही सरकार में चला है खुला भ्रष्टाचार : राणा
बीजेपी के बेड़े में भ्रष्टाचार के छेद होने के बाद अब इसके कई मुसाफिर सुरक्षित ठिकानों की ओर छलांगें लगाने लगे हैं क्योंकि उनको लग रहा है कि सत्ता सुख का यह बेड़ा कभी भी डूब सकता है। यह बात राज्य कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने प्रेस बयान में कही है।
राणा ने कहा कि जो सरकार जीरो क्रप्शन टोलरेंस की दलीलें व दुहाई देती थी, उसी सरकार के आधे कार्यकाल में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। महामारी के आतंक के बीच हेल्थ विभाग में उजागर हुए बेखौफ भ्रष्टाचार ने सरकार की चुलें हिला कर रख दी है। सरकार के शुरू दिन से ही हेल्थ विभाग भ्रष्टाचार की सुर्खियां बटोर रहा है। हेल्थ विभाग में बेखौफ चल रहे भ्रष्टाचार ने पहले हेल्थ मिनिस्टर की विकेट उड़ाई, फिर सफाई, दुहाई व बचाव के प्रयासों ने कई अफसरों को बली का बकरा बनाया। यह दीगर है कि सरकार पर हावी-प्रभावी 2-4 अफसरों की जुंडली ने सरकार की आंखों का तारा बन कर अपने सिहांसनो को महफूज रखा है।
हेल्थ विभाग में लगातार चला आ रहा भ्रष्टाचार कोरोना महामारी के दौरान भी बदस्तूर चला आ रहा है। मामला सेनेटाइजर खरीद में कर्रप्शन का हो या पीपीई किट खरीद का घोटाला हो या फिर हिमुडा की जमीन खरीद में करोड़ों के लेने देन के संगीन आरोप हों भ्रष्टाचार बेखौफ चलता रहा और सरकार यह दलीलें देती रही कि उनका दामन पाक-साफ है। मसला पुलिस या पटवारियों की भर्ती का हो या विश्वविद्यालयों में डिग्रियों की खरीद फरोख्त का हो या फिर ताजा कड़ी में भ्रष्ट तंत्र व नेताओं के भ्रष्टाचार गठबंधन का हो, जिसके प्रकोप ने अब रुष्ट व असंतुष्ट भाजपाईयों के आक्रोश में पार्टी मुखिया व सरकार के दामन को दागदार किया है, इस सरेआम चल रहे भ्रष्टाचार से अब जनता का विश्वास इस सरकार से पूरी तरह उठ चुका है।
जनता अब यह सोचने पर मजबूर है कि क्या यह उसी सरकार के लोग हैं जिन्होंने जीरो कर्रप्शन टोलरेंस के वायदे व बातें करके जनादेश हासिल किया है और अब भ्रष्टाचार का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं। जहां कोरोना महामारी आम जनता के लिए आपदा का सबब साबित हो रहा है, वहीं सरकार के भ्रष्ट तंत्र में यह महामारी भ्रष्टाचार से इस तंत्र की तिजोरियां भरने का मौका साबित हो रही है। राणा ने कहा कि आज जनता और विपक्ष ही नहीं बीजेपी के अपने लोग भी सरकार में चल रहे भ्रष्टाचार से आजिज आ चुके हैं और अब सरकार ने अपने बचाव में खुद के मंत्री, मुखियों की बली लेने का सिलसिला शुरू हुआ है, जबकि कई भ्रष्टाचार के असली बकरों को बचाने के लिए सरकार अब भरपूर प्रयास में जुट गई है।