गेस्ट फैकल्टी के रूप में कार्यरत सभी प्राध्यापकों के लंबित वेतन को तुरन्त करे जारी : सीटू
सीटू राज्य कमेटी ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र धर्मशाला व इवनिंग कॉलेज शिमला में गैस्ट फैकल्टी के रूप में कार्यरत लगभग एक सौ प्राध्यापकों के फरवरी से मई 2020 तक के लंबित वेतन को तुरन्त जारी करने की मांग की है। सीटू ने इनको वेतन न देना शोषण की पराकाष्ठा करार दिया है।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि इन लगभग एक सौ प्राध्यापकों का प्रदेश सरकार द्वारा जमकर शोषण किया जा रहा है। गैस्ट फैकल्टी के अंर्तगत कार्यरत ये अध्यापक हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, रीजनल सेंटर धर्मशाला व हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के सांध्यकालीन केंद्र को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। रीजनल सेंटर धर्मशाला के कुल छप्पन लोगों के शैक्षणिक स्टाफ में से चबालिस गैस्ट फैकल्टी के रूप में कार्यरत हैं जबकि केवल दस प्राध्यापक रेगुलर हैं व दो सेवानिवृत हो चुके हैं। इस तरह रीजनल सेंटर धर्मशाला को कई वर्षों से यही गैस्ट फैकल्टी का स्टाफ चला रहा है व अध्ययनरत छात्रों के भविष्य को संवार रहा है। कमोबेश इसी तरह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय व इवनिंग कॉलेज की स्थिति है। इन प्राध्यापकों को बहुत कम वेतन दिया जाता है। यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार इन प्राध्यापकों को प्रति लेक्चर एक हज़ार रुपये मिलने चाहिए परन्तु रीजनल सेंटर धर्मशाला जैसी जगह में इनको केवल पांच सौ रुपये प्रति लेक्चर मिल रहे है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद द्वारा इन्हें एक हज़ार रुपये वेतन देने का निर्णय लिया जा चुका है परन्तु इसके बावजूद इन्हें इस से आधा केवल पांच सौ रुपये प्रति लेक्चर दिया जा रहा है। इसी तरह यूजीसी नियमों के तहत एक महीने का इन्हें अधिकतम वेतन पचास हज़ार रुपये मिलना चाहिए जबकि इन्हें केवल पच्चीस हज़ार रुपये मिल रहा है। यह शोषण की पराकाष्ठा है।
उन्होंने कहा है कि इन गैस्ट फैकल्टी प्राध्यापकों की इन तीन केंद्रों में छात्रों की शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका है परन्तु उनके अधिकारों की रक्षा के बजाए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का प्रशासन व सरकार इनका भारी शोषण कर रहे हैं। इस कोरोना महामारी के समय में ऑनलाइन कक्षाओं को यही प्राध्यापक संचालित कर रहे हैं। इस सबके बावजूद न तो उन्हें यूजीसी नियमों के तहत वेतन मिल रहा है और न ही कोरोना महामारी के इस भयंकर समय में इन्हें फरवरी से लेकर मई तक के वेतन भुगतान किया गया है। यह केंद्र सरकार द्वारा 20 मार्च व 29 मार्च 2020 को जारी की गई अधिसूचनाओं व आदेशों का पूर्ण उल्लंघन है जिसके अनुसार कोरोना काल में सरकारी, अर्ध सरकारी अथवा निजी क्षेत्र में कार्यरत किसी भी कर्मचारी के वेतन में कटौती नहीं की जा सकती है और न ही उसे रोका जा सकता है। इन आदेशों के अनुसार किसी कर्मचारी की छंटनी भी नहीं हो सकती है। किसी भी कर्मचारी के इस समय की अवधि के बर्तन का उसे भुगतान न करना एपिडेमिक एक्ट व डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट का भी उल्लंघन है। उन्होंने प्रदेश सरकार व हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से इस मामले में तुरन्त हस्तक्षेप की मांग की है ताकि गैस्ट फैकल्टी में कार्यरत इन प्राध्यापकों की आर्थिक व मानसिक सुरक्षा की जा सके।