श्रीमद् भागवत कथा के 5वें दिन सुन्दर झाकिंयों ने मोह लिया भक्तों का दिल
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा कुनिहार में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस की कथा में आशुतोष महाराज की शिष्या कथा व्यास साध्वी भद्रा भारती ने भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव की कथा को बहुत ही सुन्दर शब्दों में भक्तों के सामने रखा। साध्वी ने कहा भगवान श्री कृष्ण बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी है। कहीं यह चितचोर मुरलीधर हैं,तो कहीं दुष्ट दलन चक्रधर, कहीं रसिक बिहारी रागी हैं तो कहीं पर वीतरागी। वह असीम परम सत्ता मानवी चोले में सिमट कर इस धरा पर उतरते है। इस धरा से पाप को खत्म करने के लिए व धर्म की स्थापना के लिए वह ईश्वर अलग-अलग अवतारों में धरा पर आते हैं। नारायण नर-रूप को स्वीकार करते हैं। साध्वी ने कहा भगवान का जन्म एवं कर्म दोनों ही दिव्य होते हैं। प्रभु को व उनकी लीलाओं को बुद्धि द्वारा समझा नहीं जा सकता। ब्रह्म ज्ञान ही उनको समझने की एकमात्र कुंजी है। एक ब्रह्मज्ञानी ही अंतर हृदय की गहराइयों में उतर कर भगवान की लीलाओं के मर्म को समझ सकता है। इसलिए हमें भी एक पूर्ण गुरु की शरणागत होकर उनसे ब्रह्म ज्ञान की मांग करनी चाहिए,क्योंकि ब्रह्म ज्ञान के द्वारा ही ईश्वर दर्शन संभव है। कथा में सर्वप्रथम विधिवत पूजन किया गया जिसमें अरुण शर्मा ने परिवार सहित हिस्सा लिया। के अवसर पर सुन्दर झाँकी भी प्रस्तुत की गयी। सभी भक्तों ने नाच-गाकर प्रभु के जन्मोत्सव को मनाया। नरेन्द्र कालड़ा, गोपाल पनवर,राम स्वरुप ठाकुर, राजेन्द्र ठाकुर ने आरती में हिस्सा लिया।आस्था कॉलेज ऑफ एजुकेशन के छात्र व छात्राओं ने भी कथा में पहुँचकर आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया।