संजीवनी बूटी लाने के वक्त यहां रुके थे हनुमान

शिमला के जाखू मंदिर में हनुमान जी के पद चिह्न देखने दुनियाभर से श्रद्धालु आते हैं। प्रकृति की गोद में बसे इस स्थान पर लोगों को बेहद सुकून मिलता है। मान्यता है कि जो भी भक्त यहाँ सच्चे मन से आते हैं, उन्हें हनुमान जी खाली हाथ नहीं भेजते। शिमला मुख्य शहर से 7 कि.मी. और रिज से दो कि.मी. की दूरी पर स्थित जाखू हिल्स, शिमला की सबसे ऊंची चोटी है और यहीं विराजमान हैं भगवान हनुमान। जाखू मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति देश की सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक है, जो 33 मीटर (108 फीट) ऊंची है। इस मूर्ति के सामने आस-पास लगे बड़े-बड़े पेड़ भी बौने लगते हैं। यह स्थान बजरंगबली के भक्तों के लिए बेहद ख़ास है।
पौराणिक कथा के अनुसार:
जब श्रीराम और रावण के बीच युद्ध हुआ था, उस समय लक्ष्मण शक्ति लगने से घायल हो गए थे। उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने हिमालय पर्वत पर गए थे। ऐसा कहा जाता है कि संजीवनी लेने जाते समय हनुमान जी कुछ देर के लिए इस स्थान पर रुके थे, जहां अब जाखू मंदिर स्थित है।
यह भी माना जाता है कि जब हनुमान जी औषधीय पौधे (संजीवनी) लेने जा रहे थे, तब उन्हें इस स्थान पर ऋषि ‘याक्ष’ (कुछ कथाओं में ‘याकू’) मिले थे। हनुमान जी ने संजीवनी के बारे में जानकारी लेने के लिए यहां विश्राम किया और वापसी में ऋषि से मिलने का वादा किया।
लेकिन समय की कमी और दानव कालनेमि के साथ युद्ध के कारण हनुमान जी उस पहाड़ी पर वापस नहीं आ पाए। इसके बाद ऋषि याक्ष ने हनुमान जी के सम्मान में इस मंदिर का निर्माण किया। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यह मंदिर हनुमान जी के पदचिह्नों के पास बनाया गया है। मंदिर के आस-पास घूमने वाले बंदरों को हनुमान जी का वंशज माना जाता है। माना जाता है कि जाखू मंदिर का निर्माण रामायण काल में हुआ था।
इसी स्थान पर प्रकट हुई भगवान की स्वयंभू मूर्ति
कथाओं के अनुसार, हिमालय की ओर जाते समय भगवान हनुमान की दृष्टि राम नाम का जाप कर रहे ऋषि याक्ष पर पड़ी। हनुमान जी कुछ देर उनके साथ रुके और विश्राम किया। वापसी के समय उन्होंने ऋषि से भेंट करने का वादा किया, लेकिन देरी होने के कारण वह किसी अन्य मार्ग से निकल गए। ऋषि याक्ष उनके न आने से व्याकुल हो उठे। ऐसी मान्यता है कि तब भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए।
भगवान हनुमान की चरण पादुका भी है मौजूद
जाखू मंदिर में आज भी भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और उनकी चरण पादुका विद्यमान हैं। माना जाता है कि भगवान की स्वयंभू मूर्ति प्रकट होने के बाद ऋषि याक्ष ने ही यहां मंदिर का निर्माण करवाया। ‘याक्ष’ से ‘याकू’ और ‘याकू’ से ही नाम पड़ा ‘जाखू’।
मंदिर में स्थापित है 108 फीट ऊंची मूर्ति
साल 2010 में जाखू मंदिर में भगवान हनुमान की 108 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित की गई, जो शिमला में प्रवेश करते ही दूर से दिखाई देती है। भगवान हनुमान के भक्त रोजाना उनके दर्शन करने यहां पहुंचते हैं, और मान्यता है कि वे अपने सच्चे भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।