सुक्खू सरकार की वो मानवीय पहल जिसने छुआ सबका दिल
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने यूँ तो सत्ता में आने के बाद कई अहम फैसले लिए है मगर इन फैसलों में एक ऐसा फैसला भी है जिसने प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति के दिल को छुआ है। एक ऐसा फैसला जिसने सरकार का मानवीय चेहरा और भी ज्यादा निखार कर सामने लाया। ये फैसला था प्रदेश के उन बच्चों को गले लगाने का जिनकी तरफ अक्सर दया भावना से देखा ज़रूर जाता था, मगर उनकी परिस्थिति बदलने के लिए कुछ खास कभी किया नहीं गया। हम बात कर रहे है नई सरकार की सुखाश्रय योजना की। हर राज्य की तरह हिमाचल में भी कई अनाथ बच्चे है जिनका ध्यान रखने वाला कोई नहीं। ऐसे अनाथ बच्चे या तो अनाथालय में रहते हैं या फिर रिश्तेदारों के रहमो करम पर। ऐसे बच्चों के कल्याण के लिए सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने हिमाचल प्रदेश सुखाश्रय योजना को शुरू किया। इस योजना के अंतर्गत सरकार के द्वारा बेसहारा बच्चों का सहारा बनने की पहल की गई है। इन बच्चों की पढ़ाई ही नहीं बल्कि शादी तक का ज़िम्मा भी सरकार ने अपने हाथों में लिया है। राज्य के 6000 निराश्रित बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ स्टेट’ के रूप में अपनाया गया है और इन बच्चों के लिए प्रदेश सरकार ही माता और पिता हैं। वादा किया गया है कि राज्य सरकार इन बच्चों को अभिभावक के रूप में पालने-पोसने, समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।
मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के अंतर्गत अनाथ और विशेष रूप से सक्षम बच्चों, निराश्रित महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को लाया गया है, जिसमें उन्हें हर संभव सहायता का प्रावधान किया गया है। योजना के अन्तर्गत उनकी उच्च शिक्षा, जेब खर्च, स्वरोजगार तथा घर निर्माण के लिए तीन बिस्वा भूमि सहित तीन लाख रुपये की सहायता राशि का प्रावधान किया गया है। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा इसके लिए 101 करोड़ रूपए का कोष भी बनाया गया है। सरकार के द्वारा इस योजना के अंतर्गत शुरुआती चरण में तकरीबन 6000 अनाथ बच्चों को गोद लिया जाएगा और उनका भरण पोषण भी सरकार के द्वारा किया जाएगा। भरण पोषण के अंतर्गत अनाथ बच्चों को सरकार पढ़ाई का खर्च प्रदान करेगी। सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि अनाथ बच्चों को हर महीने उनके द्वारा आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करवाई जाएगी।
इस योजना के तहत उपेक्षित वरिष्ठ नागरिकों, अनाथ बच्चों, विशेष रूप से सक्षम बच्चों और निराश्रित महिलाओं की बेहतर देखभाल के लिए नए एकीकृत घरों का निर्माण चरणबद्ध तरीके से एक परिसर में अलग-अलग खण्डों में किया जाएगा। इनमें सभी आधुनिक सुविधाओं का समावेश होगा। यह आधुनिक एकीकृत घर जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी तथा जिला मंडी के सुंदरनगर में स्थापित होंगे। योजना के अंतर्गत संस्थान में रहने वाले बच्चों की गुणात्मक शिक्षा का प्रावधान किया गया है ताकि उन्हें बेहतर कोचिंग, संदर्भ पुस्तकें अथवा कोचिंग सामग्री मिल सके। समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों के माध्यम से ऐसे बच्चों को मेंटरशिप भी प्रदान की जाएगी। दसवीं से बाहरवीं तक के बच्चों को सूचीबद्ध एजेंसियों के माध्यम से करियर काउंसलिंग भी प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षा के लिए भी इन बच्चों को सरकार सहायता प्रदान करेगी। इसके अलावा इन बच्चों के समग्र व्यक्तित्व विकास के लिए मासिक पिकनिक आयोजित करने का भी प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत 18 वर्ष से अधिक आयु के पात्र आवासियों को कोचिंग, छात्रावास शुल्क, शिक्षण शुल्क आदि के लिए प्रति व्यक्ति एक लाख रुपए प्रति वर्ष प्रदान करने के अलावा कोचिंग की अवधि के दौरान चार हजार रुपए प्रति आवासी प्रति माह छात्रवृत्ति प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। योजना में इन संस्थानों के आवासियों को विवाह के लिए दो लाख रुपए अथवा वास्तविक खर्च, जो भी कम हो, प्रदान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त इन संस्थानों में रहने वाले प्रत्येक बच्चे, निराश्रित महिलाओं का आवर्ती जमा खाता खोला जाएगा, जिसमें सरकार द्वारा 0-14 वर्ष की आयु के बच्चों को एक हजार रुपए प्रति बच्चा प्रति माह, 15-18 वर्ष आयु के बच्चों व एकल महिलाओं को दो हजार पांच सौ रुपए प्रति माह की सहायता राशि देगी। इन संस्थानों के आवासियों को भारत के विभिन्न दर्शनीय अथवा ऐतिहासिक स्थलों का पंद्रह दिन का शैक्षिक भ्रमण प्रति वर्ष आयोजित करने का भी प्रावधान है, जिसमें आवासियों के लिए यात्रा की व्यवस्था शताब्दी ट्रेन, एसी वॉल्वो अथवा हवाई सुविधा के साथ-साथ थ्री स्टार होटलों में ठहरने की व्यवस्था होगी। योजना में इसी तर्ज पर वृद्धाश्रमों एवं नारी सेवा सदनों के आवासियों को भी प्रति वर्ष 10 दिन की यात्रा व ठहरने का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत अनाथ बच्चों को 18 वर्ष की आयु के बाद 27 वर्ष तक पश्चावर्ती देखभाल संस्थानों में आवासीय सुविधाओं के साथ-साथ भोजन, आश्रय और वस्त्र भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। इस योजना के तहत जिन अनाथ बच्चों के नाम पर कोई भूमि नहीं है, उन्हें 27 वर्ष की आयु के बाद घर के निर्माण के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में तीन बिस्वा भूमि देने के साथ-साथ आवास निर्माण के लिए तीन लाख रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाएगी। योजना के तहत इन संस्थानों में रहने वाले सभी आवासियों को वस्त्र अनुदान के रूप में दस हजार रुपए की राशि प्रति वर्ष उनके बैंक खाते में जमा करवाई जाएगी ताकि वह अपने पसंद के वस्त्र व जूते खरीद सकें। इसके अतिरिक्त संस्थान में रहने वाले व्यक्तियों की देखभाल के लिए अतिरिक्त गृह माता अथवा पालक की नियुक्ति का भी योजना में प्रावधान किया गया है, ताकि उन्हें रहन-सहन में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत आवासीय को वर्ष भर आने वाले त्यौहार को मनाने के लिए प्रति त्यौहार 500 रुपए की अनुदान राशि भी दी जाएगी। ऐसे वर्ग की सहायता के लिए 101 करोड़ के प्रारंभिक योगदान के साथ-साथ मुख्यमंत्री सुख-आश्रय सहायता कोष का गठन किया गया है।