ग्रामीण भाखड़ा विस्थापित सुधार समिति की बैठक आयोजित
ग्रामीण भाखड़ा विस्थापित सुधार समिति की बैठक झंडूता में समिति के प्रधान देसराज शर्मा की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में ग्रामीण भाखड़ा विस्थापितों की समस्याओं को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। इस बैठक में हिमाचल नीति अभियान के राज्य सचिव संदीप मिन्हास व राज्य उपाध्यक्ष विशाल दीप विशेष रूप से उपस्थित रहे।
बैठक में वन अधिकार कानून-2006 को लेकर चर्चा की गई तथा निर्णय लिया गया कि समिति अपने साथ कार्यरत ग्रामीण स्त्तर की समितियों को वन अधिकार कनून-2006 बारे जागरूक करेगी तथा विस्थापितों को समझाया जाएगा कि वन अधिकार कानून-2006 के तहत वे लोग वन भूमि व सामुदायिक जमीन पर स्थायी व परंपरागत अधिकार भी मान्यता प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि इस कानून के तहत वन भूमि पर निवास व खेती कर रहे किसानों को संवैधानिक व कानूनी मान्यता प्रदान करता है।
बैठक में समिति के अध्यक्ष देसराज शर्मा ने कहा कि भाखड़ा बांध के कारण 60 के दशक में जिला के करीब 254 गांव जलमग्र हो गए थे। तत्कालीन समय बेघर हुए लोगों को सरकार द्वारा जमीन कहीं पर दी गई और लोगों को बसाया कहीं गया। तत्कालीन समय अज्ञानता के कारण लोग जहां बताया गया, वहीं पर ही बस गए। उन्होंने कहा कि करीब 60 वर्षों से विस्थापित जंगल में अपने आशियाने बनाकर रह रहे हैं जिन्हें अब वन भूमि पर अतिक्रमण करने के नाम पर तंग किया जा रहा है तथा करीब 400-500 लोगों के घरों के बिजली व पानी के कनैक्शन तक काट दिए गए हैं जोकि आज तक बहाल नहीं हो पाए हैं। उन्होंने कहा कि वन अधिकार कानून-2006 के तहत संबंधित लोगों के कनैक्शन गैर कानूनी तरीके से काटे गए हैं। इस कानून के तहत लोगों को वन भूमि पर रहने और वहां पर कृषि करने का अधिकार प्राप्त है। उन्होंने कहा कि इस बारे लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
उन्होंने प्रदेश सरकार से एफ.आर.ए. समितियों को इस कानून बारे प्रशिक्षण दिए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि समिति प्रदेश सरकार से विस्थापितों के अतिक्रमण के नाम पर काटे गए बिजली व पानी के कनैक्शनों को वन अधिकार कानून-2006 के तहत लगाने की मांग करेगा। इस अवसर पर रमेश कुमार, प्रेम ङ्क्षसह, रणजीत ङ्क्षसह, तिलक राज, बृजलाल, अजय शर्मा, चरंजीलाल, ब्रह्मदत, सुमन कुमार, जोङ्क्षगद्र, आशीष, हाकिम ङ्क्षसह व राजकुमार आदि मौजूद