चौपाल: सीएम सुक्खू ने कुपवी में गुजारी रात, लोगों की समस्याओं पर की बात
** 'सरकार गांव के द्वार’ कार्यक्रम के तहत टिक्कर पहुंचे मुख्यमंत्री सुक्खू
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू शुक्रवार को प्रदेश सरकार की महत्त्वाकांक्षी पहल ‘सरकार गांव के द्वार’ कार्यक्रम के तहत जिला शिमला के चौपाल उपमंडल की कुपवी तहसील के टिक्कर गांव पहुंचे। सीएम सुक्खू का टिक्कर वासियों ने ग्रामीण परिपाटी से स्वागत किया। शाम ढलते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपने घर-द्वार पर पाकर ग्रामवासी सर्द मौसम में भी गर्मजोशी से विभोर हो गए। लोगों ने अपनी समस्याओं के बारे में भी मुख्यमंत्री को अवगत करवाया। सीएम पूर्व जिला परिषद सदस्य हरी सिंह पचनाइक के घर पर रुके। हरि सिंह के घर पर अलाव सेंकते-सेंकते मुख्यमंत्री ने ग्रामवासियों से क्षेत्र में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा व्यवस्था की भी जानकारी ली। मुख्यमंत्री के आवास के लिए तीन स्थानों जुडु शिलाल पंचायत के नंदपुर गाव, मंझौली पंचायत के मंझौली तथा टिक्कर गांव पर विचार किया जा रहा था, लेकिन प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि व अन्य कारणों से टिक्कर गांव का चयन किया ।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार ने कानून में संशोधन कर तकसीम और दुरूस्ती के मामलों का निपटारा करने की समयावधि नौ महीनेए निशानदेही के मामलों की तीन महीने और इंतकाल के मामलों की अवधि एक महीना निर्धारित की है। मुख्यमंत्री ने दूध पर एमएसपी, मक्की और गेहूं की खरीद सहित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की सरकार की योजनाओं के बारे में लोगों को बताया। उन्होंने लोक संगीत की मधुर स्वर लहरियों और स्थानीय व्यंजनों का भी आनंद लिया।सीएम के रात्रि भोज में मीठे व नमकीन सिड्डू, कुंकुए (बिच्छु बूटी) का साग, मक्की की रोटी, पटांडे, कोद्दे के आटे के जोद्दे, शक्कर, गेंहू के आटे का खिंडा, खीर, चलोथी, कुल्थ व अरहर की दाल, अरबी, गुड्डत व गुच्छी की सब्जी के अलावा मांसाहार में पहाड़ी मुर्गा व बकरे का मीट तैयार किया गया था ।ग्रामीण लायक राम ने कहा कि सीएम सुक्खू जुनूनी व्यक्ति हैं, वरना वह इतनी दूर से हमारे गांव क्यों आते। यही व्यवस्था परिवर्तन है। उन्होंने कहा कि सुक्खू प्रदेश के ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने कुपवी में रात्रि को ठहराव किया और आम आदमी के घरद्वार आएए इससे पहले वह डोडरा क्वार में भी ‘सरकार गांव के द्वार’ कार्यक्रम के तहत रात्रि को रुके थे और घर-द्वार जाकर लोगों की समस्याओं का समाधान किया था।