डॉ परमार के जिले में भाजपा को उम्मीदें अपार
प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ यशवंत सिंह परमार जिला सिरमौर से ताल्लुक रखते थे और इसलिए हिमाचल प्रदेश की सियासत में जिला सिरमौर का हमेशा खास स्थान रहा है। इस जिले की पांचों सीटों पर कभी कांग्रेस का दबदबा रहता था, लेकिन वक्त के साथ समीकरण बदले और अब भाजपा भी यहाँ कमतर नहीं है। सिरमौर की पांच सीटों में से तीन पर 2017 में भाजपा को जीत मिली थी। इनमें नाहन, पांवटा साहिब और पच्छाद सीटें शामिल थी। जबकि शिलाई और रेणुकाजी सीटें कांग्रेस के खाते में गई थी। इस बार भी यहाँ करीबी मुकाबला देखने को मिल सकता है। हालांकि सिरमौर में हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने का मुद्दा खूब गर्माया है और इसकी बिसात पर भाजपा यहां करिश्माई प्रदर्शन करने की उम्मीद में है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और शिमला सांसद सुरेश कश्यप इसी जिला से है, यहाँ से जयराम सरकार में एक कैबिनेट मंत्री भी है और दिग्गज नेता डॉ राजीव बिंदल भी अब सिरमौर को कर्मभूमि बना चुके है। इस पर हाटी फैक्टर भी है। जाहिर है ऐसे में भाजपा यहाँ बेहतर करने की आशा है। उधर, कांग्रेस भी सिरमौर में बेहतर कर सत्ता वापसी की जुगत में है। पार्टी ने यहां मौजूदा दोनों विधायकों को ही अहम दायित्व दिए है। कुछ माह पूर्व शिलाई विधायक हर्षवर्धन चौहान को उप नेता प्रतिपक्ष बनाया गया, तो रेणुका विधायक विनय कुमार को प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष।
भाजपा ने भुनाया हाटी का मुद्दा
हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने के फैसले से चार विधानसभा क्षेत्रों में सीधा असर है। इस फैसले से पच्छाद की 33 पंचायतों और एक नगर पंचायत के 141 गांवों के कुल 27,261 लोगों को लाभ होगा। यहां एससी के 21,594 लोग एसटी में नहीं होंगे। रेणुका जी में 44 पंचायतों के 122 गांवों के 40,317 संबंधित लोगों को लाभ होगा। यहां एससी के 29,990 लोग बाहर होंगे। शिलाई विधानसभा क्षेत्र में 58 पंचायतों के 95 गांवों के 66,775 लोग इसमें शामिल होंगे। 30,450 एससी के लोग इससे बाहर रहेेंगे। शिलाई में 58 पंचायतों के 95 गांवों के 66,775 लोगों को यह लाभ मिलेगा। एससी के 30,450 लोग यहां एसटी में नहीं होंगे। पांवटा में 18 पंचायतों के 31 गांवों के 25,323 लोग शामिल होंगे। यहां एससी के 9,406 लोग एसटी के दायरे से बाहर रहेंगे। इस मुद्दे को भाजपा ने चुनाव में जमकर भुनाने की कोशिश की है। बाकायदा सतौन में गृह मंत्री अमित शाह का कार्यक्रम आयोजित करवाया गया। पर इसका कितना चुनावी लाभ भाजपा को मिला है, ये तो नतीजे ही तय करेंगे।
ये है मौजूदा स्थिति
सिरमौर की सियासत में हाटी फैक्टर का कितना इम्पैक्ट रहता है, ये तो 8 दिसम्बर को ही तय होगा। बहरहाल इतना ज़रूर है कि इस बार जिला कि पाँचों विधानसभा सीटों पर मुकाबला रोचक होना तय है। शिलाई में भाजपा ने कांग्रेस के हर्षवर्धन चौहान के मुकाबले एक बार फिर बलदेव तोमर पर दाव खेला है। यहाँ नजदीकी मुकाबला तय है। उधर रेणुकाजी में भाजपा ने विनय कुमार के सामने नारायण सिंह को मैदान में उतारा है। यहाँ विनय कुमार को लेकर कुछ एंटी इंकम्बेंसी जरूर है और हाटी फैक्टर भी यहाँ असरदार हो सकता है। वहीं नाहन में भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ राजीव बिंदल इस बार फंसे दिख रहे है। कांग्रेस के अजय सोलंकी यहाँ उलटफेर कर सकते है। नतीजा जो भी रहे नाहन में जीत -हार का अंतर बेहद कम रह सकता है। पावंटा साहिब में भाजपा के सुखराम चौधरी और कांग्रेस के किरनेश जंग के समीकरण आप के मनीष ठाकुर सहित निर्दलीय उम्मीदवार बिगाड़ रहे है। इस बहुकोणीय मुकाबले में कुछ भी संभव है। उधर पच्छाद में सात बार विधायक रहे गंगूराम मुसाफिर ने बगावत कर कांग्रेस की चिंता बढ़ाई है। कांग्रेस ने यहाँ दयाल प्यारी को टिकट दिया है। कांग्रेस की इसी लड़ाई में भाजपा की रीना कश्यप फिर विधानसभा पहुंचने की उम्मीद में है। पर यहाँ राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी ने भी हर तरफ सेंध लगाईं है। ऐसे में यहाँ नतीजे की भविष्यवाणी करना बेहद कठिन है।