कितनी महिलाएं पहुंचेगी विधानसभा, क्या टूटेगा 1998 का रिकॉर्ड ?
हिमाचल प्रदेश में मतदान हो चूका है और आठ दिसम्बर को नतीजा भी सामने होगा। 68 विधानसभा सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में इस बार आधी आबादी को कितना महिला प्रतिनिधित्व मिलेगा यानि कितनी महिलाएं जीतकर विधानसभा पहुँचती है, ये देखना रोचक होगा। हालांकि नतीजे से पहले ही ये तय है कि ये आंकड़ा बहुत उत्साहजनक नहीं होने वाला क्योंकि दोनों मुख्य राजनैतिक दलों ने महिलाओं को बेहद कम टिकट दिए है। पहले बात भाजपा की करते है। भाजपा ने इस बार 6 महिलाओं को टिकट दिए है। इनमें शाहपुर से मंत्री सरवीण चौधरी के अलावा, पच्छाद से सीटिंग विधायक रीना कश्यप, इंदौरा से सीटिंग विधायक रीता धीमान, चम्बा से नीलम नय्यर, बड़सर से माया शर्मा और रोहड़ू से शशिबाला शामिल है। वहीं भाजपा ने भोरंज से सीटिंग विधायक कमलेश कुमारी का टिकट काट भी दिया। यानी भाजपा ने दस प्रतिशत सीटों पर भी महिलाओं को टिकट नहीं दिया है। अब बात करते है कांग्रेस की। उसी कांग्रेस की जिसने उत्तर प्रदेश चुनाव में चालीस फीसदी टिकट महिलाओं को दिए थे। पर हिमाचल में पार्टी ने सिर्फ तीन महिलाओं को टिकट दिया है, यानी पांच फीसदी टिकट भी महिलाओं को नहीं मिले। पार्टी ने डलहौजी से मौजूदा विधायक आशा कुमारी, मंडी से चंपा ठाकुर और पच्छाद से दयाल प्यारी को ही टिकट दिया है।
उधर कई सीटों पर निर्दलीय या आप के टिकट पर चुनाव लड़ रही महिलाएं भी मैदान में है। इनमें चम्बा से भाजपा की बागी इंदिरा कपूर भी शामिल है। पर एक नाम का जिक्र यहाँ जरूरी है और वो है ठियोग से कांग्रेस की बागी इंदु वर्मा। यानी प्रदेश की सात सीटें ऐसी है जहाँ भाजपा या कांग्रेस की महिला उम्मीदवार मैदान में है, एक सीट पर कांग्रेस-भाजपा दोनों ने महिला को उतारा है और निर्दलीय चुनाव लड़ रही इंदु वर्मा भी विधायक बनने की दौड़ में दिख रही है। मोटे तौर पर कुल करीब नौ सीटों पर महिलाएं दमदार तरीके से विधायक बनने की दौड़ में दिख रही है। अब इनमें से कितनी विधानसभा पहुँचती है, ये तो आठ दिसम्बर को ही तय होगा। इतिहास पर नजर डाले तो हिमाचल को सबसे ज्यादा 6 महिला विधायक 1998 में मिली थी। हालाँकि वर्ष 2000 में हुए सोलन उपचुनाव के बाद ये संख्या पांच रह गई थी। 2003 में चार महिलाएं चुनाव जीती तो 2007 में 5 महिलाएं विधानसभा पहुंची। 2012 में ये आंकड़ा तीन था जो 2017 में भी तीन ही रहा। हालांकि 2019 में हुए पच्छाद उपचुनाव के बाद विधानसभा में महिलाओं की संख्या चार हो गई। अब इस बार कितनी महिलाएं विधानसभा में पहुँचती है, ये देखना दिलचस्प होगा।