सीटिंग सीएम, पूर्व सीएम, प्रोजेक्टेड सीएम, हिमाचल में सब चुनाव हारे है
हिमाचल प्रदेश का सियासी इतिहास बेहद रोचक है। यहाँ की सियासी हवा कब किसके अरमानों को उजाड़ दे, पता नहीं चलता। कई बड़े दिग्गज यहाँ चुनावी रण में धराशाई हुए है। दिलचस्प बात ये है कि हिमाचल में पूर्व मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री पद के दावेदार ही नहीं, सीटिंग मुख्यमंत्री भी चुनाव हारे है। आज तक छ नेता हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने है और इनमें से तीन सीएम बनने के बाद भी विधानसभा चुनाव हारे है। जबकि एक नेता सीएम बनने से पहले हार चुके है। प्रदेश में अब तक डॉ यशवंत सिंह परमार, ठाकुर राम लाल, शांता कुमार, वीरभद्र सिंह, प्रेम कुमार धूमल और जयराम ठाकुर को सीएम बनने का सौभाग्य मिला है। इनमें से यशवंत सिंह परमार और ठाकुर रामलाल ही ऐसे है, जो कभी विधानसभा चुनाव नहीं हारे। शांता कुमार, वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल सीएम बनने के बाद भी विधानसभा चुनाव हार चुके है। जबकि जयराम ठाकुर 1993 में अपना पहला विधानसभा चुनाव हारे थे। हालांकि तब तक वे कभी विधायक भी नहीं बने थे।
दो बार बतौर पूर्व मुख्यमंत्री चुनाव हारे शांता कुमार
शुरुआत करते है शांता कुमार से जिनका राजनीतिक सफर रोलर कोस्टर जैसा रहा है। शांता कुमार ने अपना पहला चुनाव 1967 में जनसंघ के टिकट पर लड़ा था और सीट थी पालमपुर। तब शांता कुमार चुनाव हार गए थे। इसके बाद 1972 में वे खेरा सीट से जीते, 1977 और 1982 में सुलह से। इस बीच वे 1977 से 1980 तक मुख्यमंत्री भी रहे। पर 1985 में पूर्व मुख्यमंत्री के टैग के साथ चुनाव लड़ने के बावजूद शांता कुमार सुलह से चुनाव हार गए। पर इससे अगले ही चुनाव में 1990 में वे पालमपुर और सुलह, दोनों सीटों से जीते। 1990 में वे दूसरी बार सीएम भी बने और दिसंबर 1992 तक केंद्र द्वारा उनकी सरकार बर्खास्त करने तक इस पद पर बने रहे। पर 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में फिर सुलह सीट से हार गए।
2017 में प्रोजेक्टेड सीएम धूमल हारे थे चुनाव
अब बात करते है प्रो प्रेम कुमार धूमल की जो दो बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। धूमल 1998 से 2003 तक पहली बार और 2007 से 2012 तक दूसरी बार मुख्यमंत्री रहे। 2017 में भी पार्टी ने उन्हें सीएम पद का चेहरा घोषित किया था। पर तब भाजपा तो जीत गई लेकिन प्रेम कुमार धूमल खुद सुजानपुर सीट से चुनाव हार गए।
1990 में सीटिंग सीएम वीरभद्र सिंह हारे थे
अंत में बात करते है हिमाचल प्रदेश में बतौर सीटिंग सीएम चुनाव हारने वाले दिग्गज की। ये नेता थे 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह। 1990 में वीरभद्र सिंह दो सीटों से चुनाव लड़े थे, जुब्बल कोटखाई और रोहड़ू। तब वीरभद्र सिंह रोहड़ू से तो चुनाव जीत गए लेकिन जुब्बल कोटखाई में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। दिलचस्प बात ये है कि इसी सीट से वे 1983 का उपचुनाव और 1985 का विधानसभा चुनाव जीते थे। दरअसल उनका सामना इसी सीट से जीतकर तीन बार सीएम रहे ठाकुर रामलाल से था। दो सियासी महारथियों के चुनावी घमासान में तब सीटिंग सीएम वीरभद्र सिंह को हार का सामना करना पड़ा था।