प्रदेश अध्यक्ष नहीं लड़े चुनाव, पर आठ पूर्व अध्यक्ष मैदान में
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव में इतिहास पर निगाह डाले तो अधिकांश मौकों पर कांग्रेस-भाजपा दोनों ही दलों के प्रदेश अध्यक्ष भी चुनाव लड़ते दिखे है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही हुआ था जहाँ कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू और भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती भी मैदान में थे। पर इस बार ऐसा नहीं हुआ है। न तो कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने विधानसभा का चुनाव लड़ा और न ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने। पर इन दोनों मुख्य राजैनतिक दलों के कुल आठ पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जरूर मैदान में है। इनमें से पांच भाजपा के तो तीन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे है। दिलचस्प बात ये है कि इनमें से चार इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े है तो चार भाजपा के। दरअसल भाजपा के एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष खीमीराम शर्मा अब कांग्रेस में शामिल हो चुके है।
पहले बात भाजपा की करते है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे चार नेता इस बार पार्टी उम्मीदवार है। इनमें खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सराज से, सतपाल सिंह सत्ती ऊना सदर से, सुरेश भारद्वाज कसुम्पटी से और डॉ राजीव बिंदल नाहन सीट से मैदान में है। इसी तरह कांग्रेस की बात करें तो पूर्व अध्यक्ष ठाकुर कौल सिंह द्रंग से, सुखविंद्र सिंह सुक्खू नादौन से, कुलदीप राठौर ठियोग से और भाजपा छोड़ कर आएं खीमीराम शर्मा बंजार सीट से मैदान में है। खास बात ये है कि दोनों पार्टियों से चुनाव लड़ने वाले इन आठ पूर्व अध्यक्षों में से तीन सीएम पद की दौड़ में भी शामिल है। भाजपा सरकार अगर रिपीट कर पाई तो जयराम ठाकुर ही फिर मुख्यमंत्री होंगे। वहीँ अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो कौल सिंह ठाकुर और सुखविंद्र सिंह सुक्खू सीएम हो सकते है। हालाँकि इस लिस्ट में कुलदीप राठौर का भी नाम शामिल है। बहरहाल इन आठ दिग्गजों के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी-अपनी सीट जीतना है।