अवस्थी और पाल दोनों के लिए 'करो या मरो'
छात्र राजनीति के जमाने से संजय अवस्थी कांग्रेस से जुड़े है। 2012 में कांग्रेस ने संजय अवस्थी को पहली बार टिकट दिया था लेकिन तब अवस्थी करीब दो हजार वोट से चुनाव हारे थे। कारण था कांग्रेस का भीतरघात। फिर 2017 में खुद वीरभद्र सिंह अर्की से मैदान में उतरे और संजय अवस्थी के अरमानों पर पानी फिर गया। खास बात ये है कि राजा गुट ने तब संजय अवस्थी पर पार्टी विरोधी या यूँ कहे वीरभद्र सिंह के विरोध में काम करने का आरोप लगाया था। अब वीरभद्र सिंह के निधन के बाद उपचुनाव के लिए पार्टी ने फिर संजय अवस्थी को टिकट दिया है। यहां संजय अवस्थी के सामने 'करो या मरो' की स्थिति है। इस बार नतीजे प्रतिकूल रहे तो भविष्य में उनकी राजनीतिक राह आसान नहीं होने वाली। इसी तरह भाजपा ने 2017 में दो बार के विधायक गोविंद राम शर्मा का टिकट काट रतन सिंह पाल को दिया था। तब निसंदेह रत्न सिंह पाल ने वीरभद्र सिंह को जोरदार टक्कर दी थी। पर रतन पाल के खिलाफ पार्टी के भीतर से आवाज उठती रही है, बावजूद इसके पार्टी को रतन पाल पर भरोसा है और उपचुनाव में उन्हें ही टिकट दिया गया है। पर यहां रतन पाल यदि जीत नहीं दर्ज कर पाए तो 2022 में उनकी दावेदारी निसंदेह कमजोर होगी।