नौणी विवि को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए होंगे ईमानदारी से प्रयास : डॉ कौशल
डॉ वाईएस परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी अपनी शैक्षणिक, अनुसंधान और विस्तार गतिविधियों को बेहतर बनाने के लिए ईमानदारी से प्रयास करेगा ताकी विश्वविद्यालय न केवल सर्वश्रेष्ठ वैश्विक विश्वविद्यालयों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके बल्कि किसानों के लिए नवीन कृषि समाधान और तकनीक विकसित कर सके और उसका नियमित हस्तांतरण हो सके। यह विचार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने शुक्रवार को विश्वविद्यालय में मीडिया से बातचीत के दौरान साझा किए।
इस अवसर पर डॉ कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय का एक महत्वपूर्ण कार्य बागवानी और वानिकी में कुशल मानव संसाधन को तैयार करना है। ताकि अधिक से अधिक छात्र शीर्ष पदों पर पहुंच सके इसलिए विश्वविद्यालय आने वाले समय में न केवल जेआरएफ, एसआरएफ, एआरएस और आईएफएस जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विशेष कोचिंग देगा बल्कि लैटरल एंट्री वाले वोकेशन कार्यक्रम भी शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय छात्रों को बेहतर शिक्षण वातावरण प्रदान करने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करेगा। विश्वविद्यालय के कैरियर और प्लेसमेंट सेल को मजबूत करना और पुस्तकालय सुविधाओं सहित शैक्षणिक प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से डिजिटलीकरण विश्वविद्यालय के अन्य फोकस एरिया है। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय न केवल नई किस्मों को विकसित करने के लिए काम करेगा, बल्कि किसानों को प्रदान किए जाने वाले विभिन्न फलों, सब्जियों, औषधीय और वन पौधों के बीजों और रोपण सामग्री को भी बढ़ाएगा। नई किस्मों पर ट्राइल भी लगाए जाएगें और राज्य के किसानों को उनकी सिफारिश करने के लिए और कदम उठाए जाएंगे।
शोध और विस्तार के क्षेत्र पर डॉ कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय यह सुनिश्चित करेगा कि विश्वविद्यालय से प्रौद्योगिकी और ज्ञान का प्रवाह राज्य के कृषक समुदाय तक हो। यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कृषि विज्ञान केंद्रों में एक सामान्य कौशल विकास कार्यक्रम स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय किसानों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम चलाने के लिए राज्य के कृषि और बागवानी सहित विभिन्न विभागों के साथ गठजोड़ करेगा और किसानों के उत्पादन से विपणन तक के मुद्दों को संबोधित करेगा। उन्होंने कहा कि इनपुट लागत को कम करके और बाजार हस्तक्षेप से खेती की आय को दोगुना करना भी एक लक्ष्य है जिसे विश्वविद्यालय पूरा करना चाहेगा। राज्य में प्राकृतिक खेती का प्रणालीगत प्रचार और प्रसार के लिए विश्वविद्यालय प्रत्येक ब्लॉक के 50 किसानों को प्रशिक्षित करेगा। प्रत्येक ब्लॉक में पांच किसानों के खेतों पर प्रदर्शन मॉडल भी स्थापित किए जाएंगे। वार्षिक राज्य स्तरीय किसान मेला और किसान दिवस के आयोजन के अलावा, विश्वविद्यालय बागवानी और कृषि विज्ञान के क्षेत्र में राज्य और आस-पास के किसानों के लिए इन-हाउस और फील्ड प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
विश्वविद्यालय के लिए विभिन्न शैक्षिक एवं गैर शिक्षण पदों को मंजूरी देने के लिए राज्य सरकार को धन्यवाद देते हुए डॉ कौशल कि कहा विश्वविद्यालय जल्द ही सहायक प्रोफेसरों के 39 पदों के साक्षात्कार आयोजित करेगा। इसके अलावा सहायक प्रोफेसरों के 23 अतिरिक्त पदों को विज्ञापित कर दिया गया है और हिमाचल सरकार द्वारा अनुमोदित विभिन्न श्रेणियों के गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 55 से अधिक पद भी भरे जाएगें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय राज्य सरकार के समक्ष शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष तक बढ़ाने का विषय उठाएगी।
बुनियादी ढाँचे के विकास के मुद्दे पर कई निर्माण कार्यों (प्रत्येक एक करोड़ रुपये से ऊपर) को समय पर पूरा करना की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है । इनमें लड़कों का छात्रावास, पानी की आपूर्ति योजना, खेल का मैदान और पवेलियन ब्लॉक, मुख्य परिसर और अनुसंधान स्टेशनों की फेंसिंग, औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नेरी की प्रयोगशाला और बहुउद्देशीय भवन और कृषि विज्ञान केंद्र, ताबो में प्रशासनिक भवन के निर्माण प्रमुख हैं। कई अन्य कार्यों के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं, जबकि स्टाफ हाउसों की मरम्मत, नए छात्रावास का निर्माण, अंतरराष्ट्रीय छात्रों के नए छात्रावास, वानिकी महाविद्यालय के लिए नया शिक्षण ब्लॉक, वीआईपी गेस्ट हाउस और नेरी महाविद्यालय में नए छात्रावास और स्नातकोत्तर ब्लॉक के निर्माण के लिए प्रोजेक्ट तैयार कर लिए गए हैं।
इस अवसर पर डॉ कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय अपने अनुसंधान कार्यों के विस्तार के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग एजेंसियों से वित्त पोषण के अवसर तलाशेगा। अनुसंधान और विस्तार शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय फलों, सब्जियों, फूलों, औषधीय और सुगंधित पौधों, वन पौधों की प्रजातियों और एग्रोफॉरेस्ट्री, जिसमें उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण,संरक्षित और प्रीसीजन खेती शामिल हैं, की खेती के लिए अत्याधुनिक तकनीकों पर शोध और छात्रों का मार्गदर्शन करेंगे। इसके अलावा, संरक्षण कृषि, प्राकृतिक खेती आदि सहित वैकल्पिक कृषि प्रणालियों के लिए अनुसंधान और विकास सहायता देने पर ज़ोर दिया जाएगा ताकि रसायन अवशेष मुक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके।
डॉ कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक बागवानी और कृषि के क्षेत्रों में सतत विकास के लिए राष्ट्रीय संसाधनों और जैव विविधता के संरक्षण के लिए मॉडल तैयार करेंगे। उन्होंने कहा कि कृषि उद्यमियों को सरकारी योजनाओं से लाभ उठाने और नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी प्रदाता बनने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अनुसंधान और विकास सहायता देना विश्वविदयालय का लक्ष्य रहेगा। व्यावसायिक खेती, मूल्य संवर्धन और बाजार के हस्तक्षेप की शिक्षा को एकीकृत करके शिक्षित ग्रामीण युवाओं के लिए एक मॉडल स्थापित किया जाएगा।
इस अवसर पर डॉ राकेश गुप्ता, डीन कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर; डॉ पीके महाजन, डीन कॉलेज ऑफ फॉरेस्ट्री; श्री राजीव कुमार, रजिस्ट्रार; डॉ कुलवंत राय, एसडब्ल्यूओ; श्री एचएम वर्मा, वित्त नियंत्रक और इंजीनियर अर्पणा रोहेला, एस्टेट ऑफिसर भी मौजूद रहे।