वन सम्पदा, राष्ट्र की धरोहर रक्षा और उपयोग: अजय कुमार जफ्फा
रविवार को दयाल पंचायत के उप प्रधान अजय कुमार जफ्फा ने कहा कि वनों के ह्रास से पर्यावरण असंतुलित होने लगता है। हवा, पानी और मिट्टी जो वन पर आधारित है, उन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। वन की समाप्ति की अवैध कटाई, अवैध शिकार, अवैध चराई, अग्निकाण्ड, अम्लीय वर्षा, ओजोन ह्रास, ध्वनि प्रदूषण, अनावृष्टि, नये-नये आविष्कारों का जन्म आदि वन सम्पदा के हालात के लिये मुख्य रूप से उत्तरदायी हैं। वन सम्पदा हमारी भारतीय सभ्यता और प्राचीन संस्कृति की अमूल्य धरोहर है।
उप प्रधान अजय कुमार जफ्फा ने कहा की हम सबको यह प्रण लेना चाहिए कि वन संपदा को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाएंगे वह प्रयासरत हैं कि इलाके में ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं जाएं। आजकल के दौर में भी वन सम्पदा बहुत ही महत्वपूर्ण है इसके प्रति भी लोगो को जागरूकत किया जाएगा।
वहीं उन्होंने कहा की वन सम्पदा वातावरण में उपलब्ध धुआँ, धूलकण, कार्बन, सीसा, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड एवं मानव जीवन को प्रदूषित करने वाली गैसों को घटाकर जीवन को सुरक्षा प्रदान करते हैं। वन सम्पदा भूमि को अपनी जड़ों द्वारा जकड़कर हवा और वर्षा की तेजधार से बचाकर मिट्टी के कटाव की सुरक्षा प्रदान करती हैं। इनकी पत्तियाँ, टहनियाँ और फल-फूल धरती पर झड़कर सड़ते हैं, इससे धरती अधिक उपजाऊ बनती है। भारतीय कृषि की अधिकांश सफलता वर्षा मौसम पर निर्भर करती है। वर्षा वनों पर निर्भर करती है, इसलिए भारतीय कृषि वन सम्पदा पर पूर्णतया निर्भर है।