हिमाचल में 38 दवाएं मानकों पर फेल, माइग्रेन समेत कई बीमारियों की दवाएं असुरक्षित

हिमाचल प्रदेश में निर्मित 38 दवाएं मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं। इनमें मधुमेह, माइग्रेन, उच्च रक्तचाप, पेट की गैस, संक्रमण और विटामिन डी-3 जैसी बीमारियों के इलाज में उपयोग होने वाली दवाएं शामिल हैं। खासतौर पर माइग्रेन की एक दवा, जो केवल सरकारी अस्पतालों में वितरित की जाती है, के दो बैच फेल पाए गए हैं। यह जानकारी केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और राज्य औषधि नियंत्रक द्वारा दिसंबर 2024 में किए गए परीक्षण के बाद सामने आई है।
जांच में सामने आए चिंताजनक आंकड़े
देशभर में 135 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, जिनमें हिमाचल में बनीं 38 दवाएं शामिल हैं। यह खुलासा स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
दवाओं की सप्लाई पर रोक और कार्रवाई शुरू*
राज्य दवा नियंत्रक मनीष कपूर ने बताया कि जिन दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, उन कंपनियों को नोटिस जारी कर स्टॉक वापस मंगवाया जा रहा है। साथ ही, दोषी कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
प्रमुख दवाएं जो मानकों पर खरी नहीं उतरीं:
1. डाइवैलप्रोएक्स (बायोडिल फार्मास्युटिकल, नालागढ़)
2. बीटाहिस्टाइन (सीएमजी बायोटेक, कांगड़ा)
3. ओकामैट (सिपला कंपनी, नालागढ़)
4. पेंटाप्राजोल (एडमैड फार्मा, बद्दी)
5. जिंक सल्फेट (ऑर्चिड मेडलाइफ, बद्दी)
6. अमोक्सीसिलिन (वेडएसपी फार्मास्युटिकल, झाड़माजरी)
7. सेफडॉक्साइन (नॉक्स फार्मास्युटिकल, बद्दी)
8. कैल्शियम कार्बोनेट (मेडोफार्मा कंपनी, बद्दी