बारिश-बर्फबारी से शीतलहर की चपेट में कांगड़ा घाटी
इंदौरा (मुनीश ठाकुर ) धौलाधार की पहाड़ियों पर सोमवार देर रात से जारी हल्की बर्फबारी और मैदानों में बारिश का दौर बुधवार को भी जारी है। ताजा हिमपात और बारिश के चलते समूची कांगड़ा घाटी शीतलहर की चपेट में आ गई है। हालांकि यह बारिश चंगर क्षेत्र के किसानों के वरदान से कम नहीं है. क्योंकि चंगर क्षेत्र के लोग अपनी अच्छी फसल के लिए बारिश पर ही निर्भर हैं। इसकी वजह यह भी है कि चंगर क्षेत्र में सिंचाई के साधन नहीं हैं. मौजूदा बारिश को कृषि विभाग के अधिकारी भी फसल के लिए सर्वोत्तम मान रहे हैं, क्योंकि यह वह समय है जब बारिश का पानी पौधों से होकर जड़ों तक पहुंचता है और इस समय पानी की पौध को ज्यादा आवश्यकता रहती है।
इनसेट
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कुछ दिन से लगातार हो रही बारिश का दौर बुधवार सुबह भी जारी रहा. सुबह शुरुआत हल्की बारिश के साथ हुई और दिनभर हल्की बौछारें गिरती रहीं. वहीं धौलाधार की पहाड़ियों पर हल्का हिमपात जारी रहा. जिससे दिनभर ठंडी हवाएं चलती रहीं. शहरी क्षेत्रों में भी बारिश के चलते कम भीड़ दिखी जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग ज्यादातर घरों में रह रहे हैं या फिर दुकानों के बाहर अलाव जला सेकते नजर आए, ताकि ठंड से बचा जा सके.
बाजारों में पसरा सनाटा, दुकानदार अपनी दुकानों के आगे आग जलाकर शीतलहर से पा रहे राहत। तीन दिनों से रूक रूककर बारिश का दौर जारी रहने के चलते अधिकतर लोग अपने घरों, दफ्तरों व दुकानों में दुवके रहे। मंड क्षेत्र के मुख्य बाजार ठाकुरद्वारा में लगातार तीन दिनों से सनाटा पसरा हुआ है और दुकानों में न के बरावर ही ग्राहक देखने को मिल रहे है।ठंड ओर शीतलहर के इस मौसम में तमाम दुकानदार अपनी दुकानों के आगे आग जलाकर शीतलहर से बचने के साथ साथ ग्राहकों का इंतजार करते भी दिखे । वही वारिश के चलते ठाकुरद्वारा बाजार की पचास प्रतिशत दुकाने बंद रही। इस दौरान मुख्य बाजार में दुकानदारों ने अलाव के सहारे दिन काटा। यहाँ लोग इस वारिश को फसलों के लिए लाभदायक बता रहे है तो अब तीन दिन से लगातार हो रही वारिस ने किसानों की चिंता को ओर भी बढ़ा दिया है। कई कनक के खेतो में एक एक फुट तक पानी भर गया है जिससे कनक की फसल के बर्वाद होने के पूरे पूरे आसार बन रहे है। किसानों का कहना है कि यदि इससे अधिक वारिश होती है तो यह नुकसान दायक भी हो सकती है । बही यहाँ मंड क्षेत्र में बिरान भूमि यहाँ सिर्फ बारिश के पानी पर ही कनक की फसल निर्भर है उनके लिए यह संजीबनी सावित हो सकती है
