चिंतपूर्णी में फिर बलबीर या इस बार बबलू ?
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद 18 अक्टूबर को कांग्रेस ने 46 प्रत्याशियों की अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी थी। पर इस सूची में चिंतपूर्णी सीट शामिल नहीं थी। बावजूद इसके अगले दिन शाम को चिंतपूर्णी से टिकट के दावेदार सुदर्शन सिंह बबलू ने समर्थकों सहित पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया। पत्रकार वार्ता में बबलू ने आंसू भी बहाएं और कांग्रेस पर आरोप भी लगाएं। पर इसके बाद जब पार्टी प्रत्याशियों की लिस्ट आई तो चिंतपूर्णी से टिकट वरिष्ठ नेता कुलदीप कुमार को नहीं बल्कि उन्हीं बबलू को मिला जो पार्टी छोड़कर जा रहे थे। फिर जैसा अपेक्षित था, टिकट न मिलने से कुलदीप कुमार खफा हुए और शुरुआत में बगावती तेवर भी दिखाएँ, लेकिन बाद में कांग्रेस यहाँ बगावत साधने में कामयाब रही। बहरहाल टिकट वितरण तक दिखी सियासी उठापठक के बाद चिंतपूर्णी में कांग्रेस के सुदर्शन बबलू ने दमदार तरीके से चुनाव लड़ा है और पार्टी यहाँ जीत का दावा भी कर रही है। उधर भाजपा ने एक बार फिर सीटिंग विधायक बलबीर सिंह को यहाँ मैदान में उतारा है। चिंतपूर्णी में सिटींग विधायक को लेकर थोड़ी नाराजगी भी दिखती रही है। ऐसे में जाहिर है यहाँ एंटी इंकम्बैंसी का खामियाज़ा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है। इसके अलावा ओपीएस और महंगाई जैसे चुनावी मुद्दे भी भाजपा को भारी पड़ सकते है। बावजूद इसके बलबीर सिंह का दावा यहाँ कमतर नहीं माना जा सकता।
इतिहास पर निगाह डाले तो चिंतपूर्णी विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। यहाँ भाजपा को केवल 3 दफा ही जीत हासिल हुई है। 1967 में यहां से कांग्रेस के चौधरी हरिराम ने जीत दर्ज की थी, जबकि 1972 में कांग्रेस के ओंकार चंद यहां से विजयी रहे थे। फिर 1977 में जनता पार्टी की लहर में हंसराज अकरोट यहाँ से जीते। 1980 में हंसराज अकरोट ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़कर यहाँ दूसरी बार जीत दर्ज की। 1985 में कांग्रेस लहर में गणेश दत्त भरवाल ने यहां जीत का परचम लहराया था। 1990 में यहाँ भाजपा यहाँ पहली बार जीती और सुषमा शर्मा विधानसभा पहुंची। 1993 में आजाद प्रत्याशी हरिदत्त यहा विजयी रहे, 1998 में भाजपा के प्रवीण शर्मा ने जीत दर्ज की थी। 2003 में राकेश कालिया ने भाजपा के प्रवीण शर्मा को 11 हजार से अधिक मतों से हरा कर ये सीट फिर कांग्रेस के नाम की। 2007 में कालिया ने लगातार दूसरी बार यहां जीत दर्ज की। फिर 2008 के परिसीमन के बाद यह क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हो गया, जिसके बाद गगरेट से चुनाव लड़ते आ रहे कुलदीप कुमार ने इस क्षेत्र से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ा। तब नजदीकी मुकाबले में उन्होंने भाजपा के बलबीर चौधरी को 438 मतों से हराया। जबकि 2017 में भाजपा के बलबीर चौधरी ने कांग्रेस के कुलदीप कुमार को 8579 मतों से पराजित किया और करीब दो दशक बाद ये सीट भाजपा की झोली में डाली। अब फिर भाजपा से बलबीर चौधरी मैदान में है, तो कांग्रेस ने यहाँ से सुदर्शन बबलू को मैदान में उतारा है। मौजूदा चुनाव में चिंतपूर्णी की गिनती प्रदेश की उन सीटों में है जहाँ बेहद काम अंतर से जीत-हार का फैसला हो सकता है। पर यदि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के लिए वोट डला है, तो जाहिर है यहाँ भी कांग्रेस का पलड़ा कुछ भारी हो सकता है।