भाजपा का गढ़ रही है ये सीट, इस बार बगावत से खतरा
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जिला बिलासपुर की झंडूता भी प्रदेश की उन सीटों में शुमार है जहाँ बगावत ने इस बार भाजपा की परेशानी बढ़ाई है। 2008 के परिसीमन से पहले इस सीट को गेहरवीं के नाम से जाना जाता था, फिर ये झंडूता हो गई। इस सीट पर हमेशा भाजपा का दबदबा रहा है। अपने गठन के बाद 1982 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में ही भाजपा ने यहाँ जीत दर्ज की। तब से 2017 तक हुए 9 चुनावों में से सात बार बीजेपी, एक बार कांग्रेस और एक बार निर्दलीय ने जीत हासिल की है। भाजपा के रिखी राम कौंडल इस सीट से पांच बार विधायक रहे है, जबकि कांग्रेस के बीरु राम किशोर दो बार, एक बार बतौर कांग्रेस प्रत्याशी और एक मर्तबा निर्दलीय।
परिसीमन के बाद झंडूता सीट अस्तित्व में आई और 2012 में भी इस सीट से भाजपा के रिखी राम कौंडल जीते। पर 2017 में भाजपा ने टिकट बदला और आईएएस ऑफिसर रहे जीतराम कटवाल को चुनावी दंगल में उतारा। उस चुनाव में करीब छ हज़ार वोट के अंतर से कटवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी बीरु राम किशोर को हराया था। इस बार भी भाजपा ने एक बार फिर से सीटिंग एमएलए जेआर कटवाल को प्रत्याशी के रूप में उतारा है। पर नाराज होकर पूर्व विधायक रिखी राम कौंडल के बेटे राजकुमार कौंडल ने निर्दलीय चुनाव लड़ा है। ये बगावत भाजपा के लिए खतरे की घंटी जरूर है, हालांकि इसके बावजूद यहाँ भाजपा कमतर बिलकुल नहीं है।
उधर, कांग्रेस ने इस सीट से बीरु राम किशोर की जगह विवेक कुमार को मैदान में उतारा है। कांग्रेस को जहाँ नए चेहरे से आस है, वहीं ओपीएस और सत्ता विरोधी लहर भी कांग्रेस की उम्मीद प्रबल कर रहे है। बहरहाल निर्दलीय राजकुमार कौंडल ने यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया है और वे किसे कितना नुकसान करेंगे, ये इस सीट के नतीजे तय करने में निर्णायक हो सकता है।