क्या अपेक्षाओं के बोझ तले कुचले जाएंगे राजेंद्र गर्ग के सियासी अरमान ?

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के करीबी माने जाने वाले ये नेता 2017 में पहली बार विधायक बने और 2020 में जब जयराम कैबिनेट का विस्तार हुआ तो भाजपा ने सबको चौंकाते हुए इनको मंत्री पद भी दे दिया। तब मंत्री पद की दौड़ में विक्रम जरियाल सहित कई वरिष्ठ नेता थे, लेकिन किस्मत इनकी चमकी। जी हाँ हम बात कर रहे है घुमारवीं से वर्तमान विधायक और जयराम सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग की। अब राजेंद्र गर्ग फिर से घुमारवीं से मैदान में है, मतदान हो चूका है और नतीजे के लिए आठ दिसम्बर का इन्तजार है। राजेंद्र गर्ग का नाम जयराम सरकार के उन मंत्रियों में शामिल है जिनके सामने अपनी सीट बचाने का संकट दिख रहा है। गर्ग मंत्री बने तो जाहिर है लोगों की अपेक्षाएं भी उनसे बढ़ी। इन्हीं अपेक्षाओं के बोझ तले क्या राजेंद्र गर्ग के दोबारा विधानसभा पहुँचने के अरमान कुचले जायेंगे, ये फिलवक्त बड़ा सवाल है। बहरहाल इतना तय है कि नतीजा जो भी रहे राजेंद्र गर्ग की डगर कठिन जरूर है।
भाजपा के टिकट आवंटन से पहले घुमारवीं उन सीटों में शामिल थी जहां टिकट बदलने के कयास लग रहे थे। दरअसल भाजपा विचारधारा के एक समाजसेवी कोरोना काल से ही इस क्षेत्र में सक्रिय भी थे, लेकिन चुनाव नजदीक आते-आते उक्त समाजसेवी ने न तो तेवर दिखाए और न ही सियासी दमखम। ऐसे में भाजपा के सामने भी कोई दुविधा नहीं थी और गर्ग के टिकट की राह आसान हो गई। अब मतदान हो चुका है और भाजपा इस आस में होगी कि उसका निर्णय सही साबित हो। हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि चुनाव के दौरान जमीनी स्तर पर एंटी इंकम्बेंसी जरूर दिखी है।
अब बात करते है कांग्रेस की। पार्टी ने यहाँ से दो बार विधायक रहे राजेश धर्माणी को फिर मौका दिया है और धर्माणी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। धर्माणी आक्रामक राजनीति करते है और वे लगातार क्षेत्र में सक्रिय भी रहे है। राजेंद्र गर्ग के खिलाफ भी उन्होंने हमेशा मोर्चा खोले रखा। इसके साथ ही सरकार के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी, पुरानी पेंशन बहाली और महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रुपये देने जैसे कांग्रेस के वादे भी उन्हें फायदा पहुंचा सकते है। वहीँ इस सीट पर आम आदमी पार्टी का जिक्र भी जरूरी है क्यों कि पार्टी प्रत्याशी राकेश चोपड़ा ने यहाँ दमखम से चुनाव लड़ा है। माहिर मान रहे है कि चोपड़ा यहाँ ज्यादा नुक्सान राजेंद्र गर्ग को पंहुचा गए है जिसका लाभ धर्माणी को मिल सकता है। बहरहाल नतीजा जो भी हो, इस त्रिकोणीय मुकाबले में सभी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे है और फिलहाल हकीकत से पर्दा उठाने के लिए आठ दिसम्बर का इन्तजार करना होगा।