पढ़िए 'बारिश' पर कहे शायरों के ये अल्फ़ाज़
मौसम-ए-इश्क़ है तू एक कहानी बन के आ,
मेरे रूह को भिगो दें जो तू वो पानी बन के आ! ?
ए बादल इतना बरस की नफ़रतें धुल जायें,
इंसानियत तरस गयी है प्यार पाने के लिये..!!
सुना है बहुत बारिश है तुम्हारे शहर में,
ज्यादा भीगना मत,
अगर धूल गई सारी ग़लतफहमियां,
तो फिर बहुत याद आएंगे हम!!
कल उसकी याद पूरी रात आती रही,
हम जागे पूरी दुनिया सोती रही,
आसमान में बिजली पूरी रात होती रही,
बस एक बारिश थी जो मेरे साथ रोती रही!
खुद भी रोता है,
मुझे भी रुला के जाता है,
ये बारिश का मौसम,
उसकी याद दिला के जाता है।
आज मौसम कितना खुश गंवार हो गया,
खत्म सभी का इंतज़ार हो गया,
बारिश की बूंदे गिरी कुछ इस तरह से,
लगा जैसे आसमान को ज़मीन से प्यार हो गया!
बादलों से कह दो,
जरा सोच समझ के बरसे,
अगर हमें उसकी याद आ गई,
तो मुकाबला बराबरी का होगा!
याद आई वो पहली बारिश,
जब तुझे एक नज़र देखा था!