दृढ संकल्प : 2025 तक देश का पहला हरित राज्य होगा हिमाचल
हिमाचल हरित ऊर्जा राज्य बनने की ओर अग्रसर है। अपनी आश्चर्यजनक प्राकृतिक सुंदरता और प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों के लिए प्रसिद्ध, हिमाचल प्रदेश ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करते हुए अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए स्थायी प्रथाओं को अपनाने के महत्व को पहचाना है और इसी लिए राज्य सरकार ने हिमाचल को वर्ष 2025 तक देश का पहला हरित राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है। हाल ही में पेश हुआ सरकार का पहला बजट भी प्रदेश को हरित राज्य बनाने हेतु प्रदेश सरकार की गंभीरता को दर्शाता है।
पहले हरित बजट में प्रदेश के लिए आर्थिक एवं पर्यावरण की दृष्टि से होने वाले मुनाफे के बीच संतुलन साधते हुए परंपरागत बसों को ई-बसों से बदलने के लिए एक हजार करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है। इससे हिमाचल प्रदेश विद्युत चालित वाहनों के लिए एक आदर्श राज्य के रूप में उभरेगा। हरित राज्य की ओर कदम आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री ने निजी ऑपरेटरों को ई-बसों तथा ई-ट्रकों की खरीद के लिए 50 प्रतिशत उपदान, अधिकतम 50 लाख रुपये तक प्रदान करने की घोषणा भी की है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने राज्य की 18 वर्ष या इससे अधिक आयु की 20 हजार होनहार छात्राओं को इलेक्ट्रिक स्कूटी की खरीद के लिए 25 हजार रुपये का उपदान प्रदान करने की भी घोषणा की है।
प्रदेश में इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के इच्छुक निजी निवेशकों को 50 प्रतिशत उपदान देने की घोषणा की गई है। व्यवहार्यता को देखते हुए भविष्य में इस उपदान में बढ़ोतरी करने का वादा भी किया गया है। यही नहीं राज्य में युवाओं को विभिन्न रूटों पर ई-बसें चलाने के लिए परमिट भी जारी किए जाएंगे। प्रदेश को हरित राज्य की ओर बढ़ाते हुए नादौन में ई-बस डिपो स्थापित करने और शिमला बस अड्डे को ई-डिपो में परिवर्तित करने की भी घोषणा की। प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को ग्रीन कोरिडोर में विकसित करने का प्रस्ताव है। इसमें परवाणू-नालागढ़-ऊना-हमीरपुर-दे
इस तरह की हरित पहलें ईंधन क्षमता की दृष्टि से विचारणीय हैं और विद्युत चालित वाहन संचालन परिव्ययों को कम करने तथा ईंधन के दामों में कमी के लिहाज से प्रभावी हैं। साथ ही यह कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के दृष्टिगत गैस, पैट्रोल व डीजल के हरित विकल्प के रूप में भी उपयोग में लाए जा सकेंगे। परिवहन क्षेत्र से प्रदेश के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल असर, ग्रीन हाउस गैसों के दूरगामी प्रभावों तथा ईंधन की बढ़ती कीमतों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा प्रस्तुत हरित बजट से हिमाचल को हरित ऊर्जा राज्य बनाने की राह संभव हो सकेगी।
इसके अतिरिक्त, ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के साथ ही हिमाचल राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन ऊर्जा अभियान के साथ आगे बढ़ने के लिए भी तैयार है। हिमाचल ने विद्युत चालित वाहनों के लिए ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र स्थापित करने के लिए जाइका से भी सहयोग के लिए हाथ बढ़ाए हैं और यह इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लक्ष्यों को हासिल करने में दूरगामी सिद्ध होगा। हरित एवं स्वच्छ हिमाचल की ओर आगे बढ़ते हुए मुख्यमंत्री ने निजी-सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से प्रदेश में विभिन्न सौर परियोजनाएं स्थापित करने का भी प्रस्ताव दिया है जिससे उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर स्वच्छ बिजली उपलब्ध होगी और कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा। राज्य के प्रत्येक जिले में पायलट आधार पर दो पंचायतों में 500 किलोवाट से एक मैगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर इन्हें हरित पंचायतों के रूप में विकसित करने की भी घोषणा की है। प्रदेश के युवाओं को अपनी अथवा पट्टे पर ली गई भूमि पर 250 किलोवाट से दो मैगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने पर 40 प्रतिशत उपदान का भी प्रावधान किया गया है। इससे राज्य में वृहद् स्तर पर विद्युत ग्रिड सुरक्षा उपलब्ध हो सकेगी और विशेष तौर पर यह प्रकृति अथवा मानव जनित आपदाओं में प्रभावी होगी। सौर ऊर्जा पैनल पर अनुदान के अलावा उत्पादकों को शून्य बिजली बिल के साथ ही बिजली वापिस ग्रिड को बेचने से आय का साधन भी उपलब्ध होगा। प्रदेश सरकार स्वयं भी सौर ऊर्जा संयंत्रों में निवेश करेगी और वर्ष 2023-24 में 500 मैगावाट सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी।
5000 करोड़ का ग्रीन हाइड्रोजन उद्योग
हिमाचल को हरित हाइड्रोजन आधारित प्रमुख अर्थव्यवस्था बनाने के दृष्टिगत प्रदेश सरकार ने हरित हाइड्रोजन एवं अमोनिया परियोजना के लिए मैसर्ज एचएलसी ग्रीन एनर्जी एलएलसी के साथ एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया है। परियोजना से प्रदेश में चार हजार करोड़ से अधिक का निवेश किया जाएगा और 3500 से अधिक रोजगार के अवसर होंगे सृजित होंगे। दरअसल हरित हाइड्रोजन में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी लाने, उर्वरकों की कीमतों में कमी लाने और आयात विकल्प के रूप में देश की अर्थव्यवस्था में सहयोग करने की क्षमता है। राज्य में जल संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने से ऊर्जा के इस विकल्प के उत्पादन के लिए हिमाचल के पास अनुकूल परिस्थितियां हैं।