पढ़िए राहत इंदौरी के 10 चुनिंदा शेर...
मोहब्बत और बगावत की शायरी से युवाओं के दिल को जीतने वाले मशहूर शायर राहत इंदौरी अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी लिखे कई शेर महफिलों की शान बनते है। राहत इंदौरी उन शायरों में से थे जो हुक्मरानों पर तंज कसने से ज़रा भी नहीं हिचकिचाते थे। उन्होंने बॉलीवुड की कई फिल्मों के लिए गाने भी लिखे हैं। राहत का जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर में रफ्तुल्लाह कुरैशी और मकबूल उन निशा बेगम के यहाँ हुआ था। इनके पिता वस्त्र कारख़ाने के कर्मचारी थे। पढ़िए उनके लिखे कुछ बेहतरीन शेर........
1. ज़ुबाँ तो खोल नज़र तो मिला जवाब तो दे,
मैं कितनी बार लूटा हूँ मुझे हिसाब तो दे।
2. सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में,
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है।
3. बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए,
मैं पीना चाहता हूं पिला देनी चाहिए।
4. अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए,
कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए।
5. दो गज सही मगर ये मेरी मिल्कियत तो है,
ऐ मौत तूने मुझको जमींदार कर दिया।
6. दो ग़ज सही ये मेरी मिल्कियत तो है
ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया।
7. अब ना मैं हूँ ना बाक़ी हैं ज़माने मेरे ,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे।
8. लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूं हैं,
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूं हैं।
9. एक ही नदी के है यह दो किनारे दोस्तो,
दोस्ताना ज़िन्दगी से, मौत से यारी रखो।
10.उस की याद आई है, साँसों ज़रा आहिस्ता चलो,
धड़कनो से भी इबादत में ख़लल पड़ता है।