पढ़िए साहिर लुधियानवी के वो शेर जिनमें जीवन का दर्शन छुपा है, तो मुहब्बत को हिज्र-ओ-विसाल भी हैं, इंक़लाब है तो ग़म भी है
साहिर लुधियानवी एक प्रसिद्ध शायर तथा गीतकार थे। उनका जन्म 8 मार्च 1921 को लुधियाना के एक जागीरदार घराने में हुआ था। जब साहिर का जन्म हुआ तो उनका नाम अब्दुल हयी साहिर रखा गया। लेकिन हर शायर की तरह साहिर ने भी बड़े होकर अपना खुद का नाम चुना, और वो नाम है साहिर लुधियानवी। साहिर की माने तो जादूगर और सही मायनों में साहिर शब्दों के जादूगर थे। इनका जन्म लुधियाना में हुआ था। हालांकि इनके पिता बहुत धनी थे पर माता-पिता में अलगाव होने के कारण उन्हें माता के साथ रहना पड़ा और अपना बचपन गरीबी में गुज़ारना पड़ा। शुरू से ही उनके दिल में बहुत दर्द और जोश था। उस दर्द को इन्होने अपने पहली किताब में शामिल भी किया। साहिर लुधियानवी की शायरी का फ़लक बहुत ऊंचा है। उन्होंने मोहब्बत से लेकर समाज तक सभी पर लिखा और बहुत गहराई से लिखा। पढ़िए साहिर लुधियानवी के वो शेर जिनमें जीवन का दर्शन छुपा है, तो मुहब्बत को हिज्र-ओ-विसाल भी हैं, इंक़लाब है तो ग़म भी है...
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया
ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा
इस रात की तक़दीर सँवर जाए तो अच्छा
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं
साँसों में घुल रही है किसी साँस की महक
दामन को छू रहा है कोई हाथ क्या करें
कभी मिलेंगे जो रास्ते में तो मुँह फिरा कर पलट पड़ेंगे
कहीं सुनेंगे जो नाम तेरा तो चुप रहेंगे नज़र झुका के
तुझ को ख़बर नहीं मगर इक सादा-लौह को
बरबाद कर दिया तिरे दो दिन के प्यार ने
अरे ओ आसमाँ वाले बता इस में बुरा क्या है
ख़ुशी के चार झोंके गर इधर से भी गुज़र जाएँ
अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिब
अभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं
बर्बादियों का सोग मनाना फ़ुज़ूल था
बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया