महान संत कबीर दास की जयंती आज, पढ़िए उनके कुछ खास दोहे
आज महान संत कबीर दास की जयंती है। हर साल प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास में पूर्णिमा तिथि को उनकी जयंती मनाई जाती है। संत कबीरदास भक्तिकाल के महान कवि रहे हैं, जो जीवन समाज को सुधारने के लिए समर्पित रहे हैं। माना जाता है कि कबीर दास का जन्म सन् 1398 में हुआ था और इनकी मृत्यु सन् 1518 में मगहर में हुई। कबीर दास ने समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में अपना जीवन लोगों के लिए समर्पित कर दिया। कबीरदास जी के दोहे बहुत सुंदर और सजीव हैं, उनकी रचनाएं जीवन के सत्य को प्रदर्शित करती हैं। कबीर दास ने समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में अपना जीवन लोगों के लिए समर्पित कर दिया। भक्तिकाल के कवि संत कबीरदास की रचनाओं में भगवान की भक्ति का रस मिलता है। पढ़िए कबीर दास के दोहे
सब धरती काजग करू, लेखनी सब वनराज ।
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाए ।।ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये ।
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए ।।बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय ।
जो मन देखा आपना, मुझ से बुरा न कोय ।।नहाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाए।
मीन सदा जल में रहे, धोये बास न जाए ।।हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना।
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना।माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।।कहत सुनत सब दिन गए, उरझि न सुरझ्या मन।
कही कबीर चेत्या नहीं, अजहूँ सो पहला दिन।।अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।