कोठारी बंधु : बहन की शादी छोड़कर राम मंदिर आंदोलन में पहुंचे थे ये दोनों भाई
राम नगरी अयोध्या ...... दशकों का अतीत भूल कर एक नया इतिहास लिखने जा रही है। राम मंदिर का निर्माण अंतिम दौर में है और सम्भवतः 24 जनवरी 2024 वो ऐतिहासिक तारीख होगी जब राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी, लेकिन जब भी राम मंदिर से जुड़े इतिहास की बात होती है तो एक सवाल आप सबके मन में भी ज़रूर आता होगा की राम की जन्मभूमि पर राम मंदिर बनाने को लेकर इतना विवाद क्यों ? खेर मेरा मानना है कि राम मंदिर का पूरा इतिहास शब्दों में समेटना किसी के लिए संभव नहीं है, लेकिन बाबरी ढाँचा तो आपको याद ही होगा और बाबरी विध्वंस को याद करने के लिए 6 दिसम्बर से मुनासिब तारीख और क्या होगी। बाबरी विध्वंस का जब भी होता जिक्र है तो कोठारी बंधुओं के योगदान की चर्चा अक्सर की जाती है।
राम और शरद कोठारी नियमित रूप से बुराबार की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में जाया करते थे। 22 और 20 साल की उम्र के इन दोनों भाइयों ने आरएसएस की तीन साल की होने वाली ट्रेनिंग के दो साल बहुत ही बेहतरीन तरीके से पूरे किए थे।अन्य कारसेवकों की तरह ही कोलकाता के रहने वाले कोठारी बंधुओं ने भी विश्व हिन्दु परिषद की कार सेवा में शामिल होने का निर्णय लिया था। 20 अक्टूबर 1990 को दोनों भाईयों ने अपने पिता को अयोध्या जाने के इरादे के बारे में बताया। उनके पिता उन्हें इस यात्रा में भेजने के इच्छुक नहीं थे क्योंकि उनकी बेटी पूर्णिमा का विवाह दिसंबर में था. वो चाहते थे कि कम से कम एक भाई तो शादी समारोह में शामिल रहे। उस समय दोनों ही भाई अपने फैसले पर कायम रहे और उन्होंने यात्रा में जाने का फैसला किया।
22 अक्टूबर को दोनों ने कोलकाता से ट्रेन के जरिये रवानगी भरी। अक्तूबर के तीसरे सप्ताह तक उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या में कार सेवकों को जुटने से रोकने के लिए ट्रेन पर रोक लगा दी थी। करीब 200 किलोमीटर पैदल चल कर 30 अक्टूबर की सुबह दोनों भाई अयोध्या पहुंचे। ये तारीख अयोध्या राम मंदिर आंदोलन के संघर्ष का महत्वपूर्ण दिन था, ये वो दिन था जब कोठारी बंधुओं ने विवादित परिसर में बने बाबरी मस्जिद पर भगवा ध्वज लहराया था। इन दोनों भाइयों ने पहली बार विवादित ढाचें पर भगवा झंडा फहराकर कारसेवकों के बीच सनसनी फैला दी थी। पुलिस प्रशासन को चुनौती देते हुए दोनों भाई बाबरी मस्जिद की गुबंद पर चढ़ गए थे और भगवा ध्वज लहराकर आराम से नीचे उतर गए थे। कोलकाता के कोठारी बंधुओं के बाबरी पर भगवा लहराने की घटना बेहद ही चर्चित है। भगवा पताका लहराकर नीचे उतरने के बाद दोनों भाइयों शरद और राजकुमार को सीआरपीएफ के जवानों ने लाठियों से पीटकर खदेड़ दिया।
30 अक्टूबर को गुंबद पर पताका लहराने के बाद शरद और रामकुमार 2 नवंबर को विनय कटियार के नेतृत्व में दिगंबर अखाड़े की तरफ से हनुमानगढ़ी की तरफ जा रहे थे। जब पुलिस ने फायरिंग शुरू की तो दोनों भाई एक घर में जा छिपे। लेकिन थोड़ी देर बाद दोनों बाहर निकले तो पुलिस की फायरिंग का शिकार हो गए। दोनों ने ही मौके पर दम तोड़ दिया।