पहले CPS गए, क्या अब डिप्टी चीफ व्हिप की बारी?

- हाईकोर्ट ने केवल सिंह पठानिया को भेजा नोटिस
कुछ समय पहले हिमाचल हाईकोर्ट ने सुक्खू सरकार के CPS की नियुक्तियों को असंवैधानिक ठहराया था। इससे बाद सीपीएस की कुर्सियां चली गई औरप्रदेश कांग्रेस में एक सियासी असंतुलन उभर आया। अब उसी तरह डिप्टी चीफ व्हिप केवल सिंह पठानिया की कुर्सी भी संकट में आ गई है। दरअसल केवल सिंह पठानिया की नियुक्ति को भी कोर्ट में चैलेंज किया गया है और न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने दायर याचिका पर केवल सिंह पठानिया को नोटिस भी जारी कर दिया है।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील रजनीश मनीकटाला ने दलील दी कि 2018 में कांग्रेस-भाजपा दोनों की सहमति से विधानसभा में जो कानून बना, जिसमें चीफ व्हिप और डिप्टी चीफ व्हिप को कैबिनेट दर्जा देने का प्रावधान था, वो न केवल गैरजरूरी था, बल्कि सीधे-सीधे संवैधानिक मूल्यों की अवहेलना थी। कहा गया कि जब प्रदेश पहले से 41 हजार करोड़ के कर्ज में डूबा था, तब ऐसे लाभकारी पदों का सृजन महज़ 'अपनों को समायोजित करने' का राजनीतिक स्टंट था। अब तो वो कर्ज 90 हज़ार करोड़ के पार पहुंच चुका है, लेकिन पद और फायदे कम होने की बजाय और भी बढ़ते जा रहे हैं।
बता दें की अपने वफादारों को पद बांटने की प्रवृत्ति पुरानी है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही कोई न कोई रास्ता निकालकर ये करते आये है। प्रदेश की सुक्खू सरकार पर तो शुरू से ही अपनों को सेटल करने के चक्कर में पैसा लुटाने के आरोप लगते रहे है। खैर, अब देखना ये है कि क्या केवल सिंह पठानिया इस कानूनी चक्रव्यूह से बच निकलेंगे, या फिर हाईकोर्ट एक और 'राजनीतिक नियुक्ति' को असंवैधानिक करार देगा।