चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन कैसे करे मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। "ब्रह्म" का अर्थ है तपस्या और "चारिणी" का अर्थ है आचरण करने वाली। इस तरह मां ब्रह्मचारिणी तप और संयम की प्रतीक हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था। इस तप के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया। वे ज्ञान, तपस्या, वैराग्य और संयम की देवी मानी जाती हैं। महत्वमां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि यह भक्तों को संयम, धैर्य, तप और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है। उनकी आराधना से जीवन में आने वाली बाधाएं और कष्ट दूर होते हैं। यह पूजा विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए लाभकारी मानी जाती है, क्योंकि यह शिक्षा और ज्ञान प्राप्ति में सहायक होती है।मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से भक्त अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प और शक्ति प्राप्त करते हैं। इस साल चैत्र नवरात्रि के दौरान द्वितीया और तृतीया तिथि एक ही दिन है, जिस कारण नवरात्रि 9 नहीं बल्कि 8 दिनों की होगी।
इस साल मुहूर्तचूंकि आज की तारीख 30 मार्च 2025 है, यह चैत्र नवरात्रि का पहला दिन है। इस आधार पर दूसरा दिन 31 मार्च 2025, सोमवार को होगा ।चन्द्र राशि - मेष
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 18 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 41 मिनट पर
चन्द्रोदय - सुबह 07 बजकर 14 मिनट पर
चन्द्रास्त - रात 09 बजकर 03 मिनट पर
शुभ मुहूर्त
रवि योग - दोपहर 01 बजकर 45 मिनट से 02 बजकर 08 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 40 मिनट से 05 बजकर 26 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 00 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 37 मिनट से 07 बजकर 00 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक।
पूजा विधिमां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि शास्त्रों के अनुसार इस प्रकार है:तैयारीस्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पुरुष और महिलाएं पीले या सफेद वस्त्र पहन सकते हैं, क्योंकि मां को पीला रंग प्रिय है।पूजा स्थल की शुद्धि: पूजा स्थान को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
पूजा की प्रक्रियासंकल्प: हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर पूजा का संकल्प करें। मन में मां से प्रार्थना करें कि आपकी पूजा सफल हो।
आह्वान: मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें और उन्हें पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर का मिश्रण) से स्नान कराएं।
शृंगार: मां को पीले वस्त्र, फूल (विशेष रूप से पीले फूल जैसे गेंदा), और रोली-कुमकुम अर्पित करें।दीप प्रज्वलन: घी का दीपक जलाएं और धूप दिखाएं।
भोग: मां को शक्कर, मिश्री या चीनी से बना भोग लगाएं। मान्यता है कि यह भोग लगाने से लंबी आयु और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। आप पंचामृत भी अर्पित कर सकते हैं।
मंत्र जाप: निम्न मंत्रों का जाप करें
बीज मंत्र: "ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः"पूजा मंत्र: "दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।"कम से कम 108 बार मंत्र जाप करें।
हवन: यदि संभव हो तो हवन करें। हवन में लौंग, बताशे और "ऊँ ब्रह्मचारिण्यै नमः" मंत्र के साथ आहुति दें।
आरती: मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें। उदाहरण:"जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता, जय चतुरानन प्रिय सुख दाता। ब्रह्मा जी के मन भाती हो, ज्ञान सभी को सिखलाती हो।"समापनभोग को प्रसाद के रूप में परिवार में बांटें।मां से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करें और क्षमा मांगें।पूजा के बाद थोड़ा समय ध्यान में बिताएं।अतिरिक्त सुझावइस दिन पीले रंग का प्रयोग करें, क्योंकि यह मां को प्रिय है और ज्ञान, उत्साह व बुद्धि का प्रतीक है।यदि व्रत रख रहे हैं, तो फलाहार या जलीय आहार लें।विद्यार्थी मां सरस्वती की भी उपासना कर सकते हैं, क्योंकि यह दिन ज्ञानार्जन के लिए शुभ है।मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से आपका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भर जाए।