हिमाचल में एक बार फिर होगी बंदरों की जनगणना, पिछली रिपोर्ट पर उठे थे सवाल, जून में फिर होगी गिनती

हिमाचल प्रदेश में बंदरों की बढ़ती आबादी और उनसे हो रही परेशानियों को लेकर वन विभाग एक बार फिर सक्रिय हो गया है। विभाग जून महीने में प्रदेश भर में बंदरों की नई गिनती करवाने जा रहा है। यह फैसला पिछली जनगणना की रिपोर्ट पर सवाल उठने के बाद लिया गया है, जिसमें बंदरों की संख्या अनुमान से कहीं ज़्यादा बताई गई थी और जिसे विभाग ने स्वीकृति नहीं दी थी। वन विभाग आमतौर पर हर चार साल में बंदरों की संख्या का आकलन करता है। 2019-2020 की पिछली रिपोर्ट में प्रदेश में बंदरों की अनुमानित संख्या 1,36,443 थी। प्रदेश में बंदर लंबे समय से एक बड़ी समस्या बने हुए हैं। ये न केवल किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि आम लोगों के लिए भी खतरा साबित हो रहे हैं। सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए 2006 से बंदरों की नसबंदी का कार्यक्रम भी चलाया है। अब तक प्रदेश में 1.86 लाख बंदरों की नसबंदी की जा चुकी है, लेकिन इसके बावजूद इनकी संख्या में अपेक्षित कमी नहीं आई है। वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न जिलों में आठ नसबंदी केंद्र संचालित हैं, लेकिन यह प्रयास भी बंदरों की बढ़ती आबादी के सामने कमजोर पड़ता दिख रहा है।
बढ़ते हमले, शिमला में हर महीने दर्ज हो रहे सैकड़ों मामले
बंदरों की बढ़ती संख्या का ही नतीजा है कि लोगों पर उनके हमलों की संख्या भी बढ़ रही है। राजधानी शिमला में ही सरकारी अस्पतालों में हर महीने बंदरों के काटने के 60 से 70 मामले सामने आ रहे हैं। सरकार ने बंदरों को पकड़ने के लिए प्रोत्साहन राशि भी निर्धारित की है। प्रति बंदर 700 रुपये दिए जाते हैं। वहीं, किसी विशेष क्षेत्र में 80 फीसदी बंदरों को पकड़ने में सफलता हासिल करने वाले व्यक्ति को प्रति बंदर 1,000 रुपये तक की राशि दी जाती है। इसके अलावा, बंदरों को मानव बस्तियों से दूर रखने के लिए सरकार उनके प्राकृतिक आवास में फलदार पौधे लगाने की योजना पर भी काम कर रही है। डीएफओ वन्य जीव शाहनवाज भट्ट ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि नए सिरे से गिनती करने से बंदरों की वास्तविक संख्या का सही आकलन हो सकेगा। इसके आधार पर नसबंदी, पुनर्वास और लोगों को राहत पहुंचाने के लिए अधिक प्रभावी योजनाएं बनाई जा सकेंगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पिछली रिपोर्ट को विभाग से अनुमोदन नहीं मिल पाया था और अब जून में नई गिनती करवाई जाएगी। अब देखना यह होगा कि जून में होने वाली इस बंदर जनगणना के नतीजे क्या सामने आते हैं और क्या सरकार बंदरों की इस बढ़ती समस्या पर लगाम लगाने में कामयाब हो पाती है या नहीं।