सैम मानेकशॉ... जिन्होंने कर दिए थे पाकिस्तान के दो टुकड़े
![india's-first-five-star-general](https://firstverdict.com/resource/images/news/image33558.jpg)
- पीएम इंदिरा गाँधी को कर दिया था इंकार
- भारत के पहले फाइव स्टार जनरल थे सैम मानेकशॉ
1971 की जंग में पाकिस्तान को हराने और नया मुल्क बांग्लादेश बनाने का पूरा श्रेय फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ को जाता है। सैम मानेकशॉ भारत के पहले फील्ड मार्शल थे। मानेकशॉ भारतीय सेना के पहले 5 स्टार जनरल रहे और पहले ऑफिसर जिन्हें फील्ड मार्शल की रैंक पर प्रमोट किया गया था। इंतिहास में इंडियन आर्मी का शायद ही कोई ऐसा जनरल हो, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर इतनी लोकप्रियता कभी हासिल की हो, जितनी उन्हें मिली। आज तक उनकी बहादुरी के किस्से और उनके जोक्स लोगों के बीच चर्चा का विषय बने रहते हैं। सैम मानेकशॉ के 4 दशक के सैन्य करियर में 5 युद्ध शामिल हैं। उनका सफर बेहद शानदार रहा।
साल 1971 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ से लड़ाई के लिए तैयार रहने पर सवाल किया था। इस बात के जवाब में सैम मानेकशॉ ने कहा था, ‘आई एम ऑलवेज रेडी, स्वीटी’। सैम मानेकशॉ द्वारा कही गई ये बात बहुत फेमस हुई थी।
1971 की लड़ाई में इंदिरा गांधी चाहती थीं कि वह मार्च में ही पाकिस्तान पर चढ़ाई कर दें, लेकिन सैम ने ऐसा करने से इनकार कर दिया, क्योंकि भारतीय सेना हमले के लिए तैयार नहीं थी। इंदिरा गांधी इससे नाराज हो गई। तब मानेकशॉ ने पूछा कि अगर आप युद्ध जीतना चाहती हैं तो मुझे छह महीने का समय दीजिए। मैं गारंटी देता हूं कि जीत हमारी ही होगी। 3 दिसंबर को युद्ध शुरू हुआ और वो ही हुआ जो उन्होंने कहा था। 13 दिसंबर 1971 को फील्ड मार्शल मानेकशॉ ने पाकिस्तानी सैनिकों को चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था, ‘या तो आप सरेंडर कर दीजिए नहीं तो हम आपको खत्म कर देंगे।’ इस चेतावनी के 3 दिन बाद ही यानी 16 दिसंबर को भारतीय मिलिट्री के इतिहास की सबसे बड़ी घटना देखने को मिली, जब करीब एक लाख पाक सैनिकों ने हथियार डाल दिए थे। 16 दिसंबर को ईस्ट पाकिस्तान आजाद होकर ‘बांग्लादेश’ बन गया।
भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम होर्मुसजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ का जन्म 3 अप्रैल, 1914 को हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर और शेरवुड कॉलेज नैनीताल में हुई। मानेकशॉ भारतीय सैन्य अकादमी के लिए चुने जाने वाले 40 कैडेटों के पहले बैच के थे और उन्हें 4 फरवरी 1934 को 12 एफएफ राइफल्स में कमीशन किया गया था। सैन मानेकशॉ को अपने सैन्य करियर के दौरान कई सम्मान प्राप्त हुए थे। 59 साल की उम्र में उन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि से नवाजा गया था। यह सम्मान पाने वाले वह पहले भारतीय जनरल थे। 1972 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। एक साल बाद 1973 में वह सेना प्रमुख के पद से रिटायर हो गए थे। वर्ष 2008 में उनका निधन हो गया।
तो पहले सीडीएस होते जनरल मानेकशॉ
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के तुरंत बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तय कर लिया था कि देश में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के तौर पर एक नए पद का निर्माण होगा। तब इस पर तत्कालीन थल सेनाध्यक्ष जनरल सैम मानेकशॉ की नियुक्ति तय थी, लेकिन ऐसा हो न सका। जनरल मानेकशॉ को आखिरकार देश के पहले फील्ड मार्शल से ही संतोष करना पड़ा।
वे देश के पहले फाइव स्टार जनरल बने थे। दरअसल सेना के तीनों अंगों के प्रमुख ही अपनी गाड़ियों पर चार सितारे यानी 4 स्टार लगाते हैं, जबकि फील्ड मार्शल को अपनी गाड़ियों पर 5 सितारे यानी फाइव स्टार लगाने की इजाजत होती है और इसलिए फील्ड मार्शल को फाइव स्टार जनरल भी कहा जाता है।