झूठी निकली निशांत की कहानी... एसआईटी ने पेश की रिपोर्ट

पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, एडवोकेट केशव श्रीधर और पूर्व आईपीएस सचिन श्रीधर को एसआईटी की क्लीन चिट
एसआईटी ने धर्मशाला की अदालत में पेश की रिपोर्ट, मामले को बंद करने की सिफारिश
कहा, व्यावसायिक विवाद में रणनीति के तहत लपेटा अधिकारियों को
पालमपुर के एक व्यवसायी निशांत शर्मा प्रकरण में एसआईटी ने पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, एडवोकेट केशव श्रीधर और पूर्व आईपीएस सचिन श्रीधर को क्लीन चिट दे दी है। इस रिपोर्ट ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है। एसआईटी ने धर्मशाला कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की है, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि निशांत की शिकायत झूठी थी। उसके सारे आरोप मनघड़ंत थे। इस रिपोर्ट के मुताबिक 27 अक्टूबर 2023 को निशांत को न तो धमकाया गया था और न ही कुछ और हुआ था। एसआईटी की रिपोर्ट के मुताबिक मनघडंत शिकायत के पीछे महज व्यावसायिक विवाद था जो केशव श्रीधर और निशांत के बीच चल रहा था। एक रणनीति के तहत निशांत ने इसमें केशव श्रीधर के अलावा संजय कुंडू और सचिन श्रीधर को भी लपेट लिया था। यही नहीं तत्कालीन एसपी कांगड़ा का नाम भी उछाला गया था।
बता दें कि यह हाइप्रोफाइल मामला हाइकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक गया। तब हाइकोर्ट ने तो तत्कालीन डीजीपी संजय कुंडू को पद से हटाने तक के आदेश दे दिए थे। उसके बाद इस मामले में एक एसआईटी का गठन किया गया। अब एसआईटी ने धर्मशाला कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है, जिसमें निशांत की शिकायत को मनघडंत बताते हुए मामले को बंद करने की सिफारिश की गई है। अब अदालत में इस रिपोर्ट के पेश होने के बाद आगामी कार्रवाई पर सभी की नजरें हैं।
ये है पूरा मामला :
निशांत ने पुलिस को ई मेल के जरिये भेजी शिकायत में आरोप लगाया था कि 27 अक्टूबर 2023 को मैक्लोडगंज में बाइक पर सवार अज्ञात हमलावरों ने डराया-धमकाया था। उस समय वो अपने परिवार के साथ था। उसने केशव श्रीधर और सचिन श्रीधर के अलावा तत्कालीन डीजीपी संजय कुंडू को इस घटना के पीछे बताया। कहा कि उसे कारोबार से बाहर करने की कोशिश की जा रही है। उसने कारोबारी विवाद का जिक्र करते हुए यह भी बताया कि उस पर गुड़गांव में भी 25 अगस्त 2023 को हमला हुआ था। बाद में हिमाचल हाइकोर्ट ने निशांत की शिकायत पर संज्ञान (सुओ मोटो) लिया। डीजी और एसपी कांगड़ा को बदलने के आदेश दिए। साथ ही एक एसआईटी के गठन के आदेश भी दिए। एसआईटी का गठन आईजी संतोष पटियाल की अगुआई में किया गया। बाद में जांच में पता चला कि निशांत की शिकायत पर कांगड़ा पुलिस ने पहले भी जांच की थी लेकिन कुछ नहीं मिला।
मामले के मुताबिक केशव श्रीधर और निशांत का मैकलोडगंज और पालमपुर में साथ में कारोबार है। एक ऑडिट रिपोर्ट में निशांत का वित्तीय कुप्रबंधन सामने आया था। यह मामला अभी भी एनसीएलटी (National Company Law Tribunal ) के समक्ष चल रहा है। एसआईटी का कहना है कि इसी विवाद के चलते निशांत ने मनघड़ंत शिकायत पुलिस के समक्ष की। कई प्रभावशाली लोगों को फंसाने की कोशिश की गई। वित्तीय कुप्रबंधन से ध्यान हटाने के लिए एक कहानी रचि गई।
ऐसे आगे बढ़ी जांच :
एसआईटी ने मामले की बारीक जांच की। तह तक जाने के लिए घटनास्थल पर क्राइम सीन रीक्रिएशन की प्रक्रिया को भी अपनाया गया। इसकी जद में आने वाले तमाम सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। कॉल डिटेल रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया। संबंधित लोगों से पूछताछ की गई लेकिन कहीं कुछ नहीं मिला। सीसीटीवी फुटेज में कहीं भी संदिग्ध बाइक नहीं मिली। हां, निशांत अपने परिवार सहित जरूर नजर आया। स्थानीय लोगों और दुकानदारों से बातचीत की गई। सभी ने ऐसी किसी घटना से इनकार किया। पुलिस ने इस केस के हर पहलू पर छानबीन की। गुड़गांव वाले कथित हमले तक भी गए लेकिन उसमें भी कुछ नहीं पाया गया। वो हमला भी कहानी जैसा ही था। मामले में बड़ी तादाद में पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों के भी बयान दर्ज हुए। यह भी पता चला कि जिस सचिन श्रीधर पर निशांत ने आरोप लगाए थे उन्होंने निशांत पर एक करोड़ का मानहानि का केस भी दिल्ली में दायर कर रखा है। इस बीच तत्कालीन डीजीपी संजय कुंडू ने माना कि उन्होंने निशांत को फोन किया था, लेकिन उनका मकसद महज मध्यस्थता था। मकसद ये था कि दो पार्टियों के बीच मामला बातचीत से सुलझ जाए। इस मामले में घसीटे गए तमाम लोगों की कॉल डिटेल पर अलग से काम किया गया, लेकिन कहीं भी किसी आपराधिक साजिश के साक्ष्य नहीं मिले। जांच के दौरान निशांत के बयानों में कई तरह के विरोधाभास भी पाए गए। मसलन निशांत ने कथित धमकाने की बात का समय बताया 5:45 के आसपास का। लेकिन 4 बजे अपने एक मित्र को बता दिया किया उसे धमकाया गया है। हैरानी की बात यह है कि सीसीटीवी में भी निशांत का समय 5.40 ही दिखता है। इससे साफ हो जाता है कि सब कुछ घड़ा गया था। असलियत में ऐसा कुछ नहीं हुआ था। फॉरेंसिक रिपोर्ट में भी कुछ नहीं आया। निशांत ने प्रेस कांफ्रेस भी की जबकि मामला हाइकोर्ट के विचाराधीन था। प्रेस कांफ्रेस के जरिये कई ऐसे तथ्य सार्वजनिक कर दिए गए जो जांच का हिस्सा थे। मीडिया के सामने बेचारा बनने की कोशिश की गई। एसआईटी ने यह भी कहा है कि निशांत ने जांच टीम को सही से सहयोग भी नहीं किया। भटकाने की कोशिश की। निशांत ने एक ऐसी कहानी बनाकर सभी को उलझाए रखा।