बीजेपी के राम मंदिर निर्माण संकल्प का पालमपुर साक्षी है !
- 90 साल के शांता कुमार को याद है एक -एक बात
- बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद एक विधायक ले आया था ईंट का टुकड़ा !
अयोध्या में मंदिर बनाने के लिए बीजेपी ने पोलिटिकल फ्रंट पर लम्बी लड़ाई लड़ी है। यूँ तो 1986 में लाल कृष्ण आडवाणी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से ही बीजेपी राम मंदिर आंदोलन में कूद पड़ी थी लेकिन राम मंदिर बनाने का प्रस्ताव बीजेपी ने पास किया था जून 1989 में और जगह थी पालमपुर। उस वक्त बीजेपी राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक पालमपुर में हुई और मेजबानी की तब के प्रदेश अध्यक्ष शांता कुमार ने। इसके बाद राम मंदिर निर्माण भाजपा की प्रतिबद्धता बना गया और आंदोलन को राजनैतिक ताकत मिल गई। बीजेपी के इस संकल्प का पालमपुर साक्षी है और आज 35 साल बीत जाने के बाद भी 90 वर्षीय शांता कुमार को राम मंदिर निर्माण के इस अहम पड़ाव की हर बात बखूबी याद है।
उस वक्त बीजेपी राष्ट्रीय कार्यसमिति में 100 से अधिक सदस्य थे, कांगड़ा में हवाई कनेक्टिविटी नहीं थी, पालमपुर भी आज की माफिक सुविधाएँ भी नहीं थी। नेताओं को पठानकोट से पालमपुर लाया गया, उनके रहने सहित अन्य सभी आवश्यक प्रबंध किये गए। आखिरकार कार्यसमिति की बैठक में राममंदिर बनाने का संकल्प लिया गया और पालमपुर बीजेपी के उस ऐतिहासिक निर्णय का साक्षी बना।
दिलचस्प बात ये है कि तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और सीएम थे वीरभद्र सिंह। शांता कुमार कहते है कि जब पार्टी आलाकमान ने पालमपुर में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक आयोजित करने की बात कही तो एक बार तो उन्हें लगा कि ये कैसे होगा। पर फिर ठान लिया और हो गया। उन्होंने तब वीरभद्र सिंह से बात की और वीरभद्र सिंह ने पूर्ण सहयोग का वादा किया और निभाया भी।
जून 1989 में पालमपुर में हुई बीजेपी राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में राममंदिर निर्माण का प्रस्ताव पास हुआ था। तब बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने बैठक में राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव रखा था। स्वाभाविक है बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं में इस विषय को लेकर पहले ही एकराय बन चुकी थी। उस बैठक में अटल बिहारी वाजपेयी ने सबसे पहले आडवाणी एक प्रस्ताव का समर्थन किया था। शांता कुमार बताते है कि तब अटल बिहारी वाजपेयी खड़े हुए और सबके पहले आडवाणी के प्रस्ताव का समर्थन किया। इसके बाद अटल जी ने कहा " इससे बड़ा दुर्भाग्य कोई नहीं हो सकता कि प्रभु श्री राम का मंदिर 500 साल से नहीं बन सका। अब इस काम का जिम्मा भारतीय जनता पार्टी ने उठाया है और हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक मंदिर नहीं बन जाता। "
1989 में पालमपुर में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है। दरअसल बैठक में हिस्सा लेने ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी पहुंची थी। राजमाता तब पालमपुर के सेशंस हाउस में ठहरी थी। इस बीच 4 जून 1989 को रविवार था। राजमाता सिंधिया ने बीजेपी के एक कार्यकर्त्ता से पूछा कि क्या यहाँ टीवी नहीं है क्या ? जवाब मिला, "नहीं"? फिर उनका अगला सवाल था कि क्या शांता कुमार जी के घर होगा ? जवाब आया, "हाँ"। राजमाता ने कहा कि फिर चलो शांता कुमार जी के घर, मुझे महाभारत देखनी है। इसके बाद वे पैदल ही शांता कुमार के घर पहुंची और वहां महाभारत का एपिसोड देखा। तब शांता कुमार कुमार के घर में ही तमाम दिग्गज नेताओं के लिए कांगड़ी धाम का आयोजन किया गया था , वो भी कांगड़ी अंदाज में।
1990 के दशक की शुरुआत में देश में राम जन्मभूमि आंदोलन चरम पर था। लाखों कारसेवक अयोध्या पहुंचे थे। हिमाचल प्रदेश में शांता कुमार प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बना चुके थे और हिमाचल से भी काफी संख्या में कारसेवक अयोध्या पहुंचे। शांता कुमार कुमार बताते है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हिमाचल के एक विधायक ईंटे का टुकड़ा लेकर आएं थे।
बहरहाल , करोड़ों राम भक्तों का इन्तजार खतम हो गया है। श्री राम का वनवास खत्म हो गया है। राम जन्भूमि आंदोलन में पालमपुर में बीजेपी कार्यसमिति की बैठक एक अहम पड़ाव है। पालमपुर भी उत्सव के लिए तैयार है। 22 जनवरी के दिन पालमपुर नगरी भी अयोध्या होगी।