आश्रय को नहीं मिला टिकट, अनिल बोले अब दोनों बाप-बेटा एक ही पार्टी में रहेंगे
मंडी में कांग्रेस की परिस्थिति टिकट के तलबगार भी बिगाड़ सकते है। कांग्रेस की टिकट के लिए लगी लम्बी कतार में पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा भी शामिल थे। पिछली बार की तरह इस बार भी पंडित जी आश्रय को टिकट दिलवाना चाहते थे। आश्रय कई दिनों तक दिल्ली भी घूमें परन्तु टिकट नहीं मिला। दरअसल 2017 में कांग्रेस को झटका देकर भाजपा में आए पंडित सुखराम अपने पोते आश्रय को सांसद बना देखना चाहते थे। इसी अरमान के साथ दादा-पोता कांग्रेस में चले गए। कांग्रेस ने आश्रय को टिकट भी दे दिया, पर हुआ वहीँ जो तमाम राजनीतिक पंडित मानकर चल रहे थे। 4 लाख 5 हज़ार 459 वोट के अंतर से आश्रय बुरी तरह चुनाव हार गए। शायद भाजपा ने भी नहीं सोचा होगा कि उनकी जीत का अंतर इतना विशाल होगा। 2019 के लाेकसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस काे मंडी संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली हर विधानसभा सीट पर पराजित किया था। उस चुनाव में रामस्वरूप शर्मा को 6 लाख 47 हजार 189 मत पड़े थे जबकि कांग्रेस के आश्रय शर्मा को 2 लाख 41 हजार 730 मत मिले थे। यहां तक कि जिन विधानसभा क्षेत्राें में कांग्रेस के विधायक थे, वहां पर भी कांग्रेस के आश्रय काे बढ़त नहीं मिल पाई थी। यानी किन्नौर, कुल्लू और रामपुर विधानसभा क्षेत्राें में कांग्रेस के नुमाइंदे होने पर भी जनता ने कांग्रेस पर भरोसा नहीं जताया था। इस हार के बाद से ही मंडी में कांग्रेस कभी भी प्रभावशाली नहीं दिखी। कमोबेश ऐसा ही हाल आश्रय शर्मा का भी है। इस बार टिकट काटने के बाद परिस्थिति बदल गई है। कांग्रेस ने मंडी लोकसभा उपचुनाव के लिए आश्रय को प्रयवेक्षक नियुक्त किया है परन्तु सियासी माहिरों की माने तो आश्रय भाजपा में जाने की तैयारी कर रहे है। खुद उनके पिता अनिल शर्मा द्वारा दिए गए एक ब्यान में ये कहा गया है कि अब दोनों बाप -बेटा एक ही पार्टी में रहेंगे। आश्रय भाजपा में जाते है या नहीं ये तो वक्त ही बताएगा, मगर कयासों से सियासी बाजार गर्म है।
दो परिवारों ने ही कांग्रेस को दिलाई जीत
मंडी संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस का झंडा पंडित सुखराम और वीरभद्र सिंह के परिवार ने ही बुलंद रखा है। 1971 से अब तक हुए 13 लोकसभा चुनाव और एक उप चुनाव में कांग्रेस को उप चुनाव सहित 8 में जीत मिली है और ये सभी जीत पंडित सुखराम, वीरभद्र सिंह और वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह के नाम दर्ज है। यानी 50 साल से मंडी में कांग्रेस की सियासत सिर्फ दो परिवारों के भरोसे चली है। अब फिर कांग्रेस ने प्रतिभा सिंह को ही टिकट दिया है।