न रोड शो और न रैली, किसी के लिए संभावना तो किसी के लिए चुनौती

दौर- ए- कोरोना में सियासत के सलीके तो बदले ही थे अब चुनाव प्रचार के तौर तरीके भी बदल गए है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। बढ़ते कोरोना के आंकड़ों के बीच ऐलान-ए-चुनाव तो हो गया पर बंदिशों के साथ। पदयात्रा और रोड शो पर पाबंदी है, साइकिल और बाइक रैली पर भी रोक है, रात आठ बजे के बाद चुनाव प्रचार भी संभव नहीं होगा, नुक्कड़ सभाओं और रैलियों पर भी रोक रहेगी, घर-घर प्रचार में भी 5 लोग ही शामिल होंगे। फिलहाल चुनाव आयोग का ये फरमान 15 जनवरी तक के लिए है और उसके बाद स्तिथि की समीक्षा कर बंदिशे बढ़ाई -घटाई जा सकती है। पर जिस तरह देशभर में कोरोना के मामले बढ़ रहे है, ऐसे में मुमकिन है कि ये चुनाव पूरी तरह डिजिटल प्लेटफार्म पर लड़े जाएं।
चुनाव आयोग का कहना है कि राजनैतिक पार्टियां डिजिटल, वर्चुअल तरीके से चुनाव प्रचार करे। पर सवाल ये है कि क्या छोटी और क्षेत्रीय पार्टियों के लिए भी वर्चुअल माध्यम का पर्याप्त इस्तेमाल करना मुमकिन है? वर्चुअल या डिजिटल आयोजनों के लिए जिस आधारभूत ढांचे की जरूरत होती है या जिन संसाधनों की आवश्यकता होती है, क्या छोटे दल या निर्दलीय प्रत्याशी उसका वहन कर सकते है? ये वो सवाल है जो चुनाव की घोषणा के बाद से कई नेता उठा रहे है। बहरहाल, पांच राज्यों के ये विधानसभा चुनाव किस तरह लड़े जायेंगे, ये राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले हर व्यक्ति के लिए जिज्ञासा का विषय बन चुका है।
ये नए युग के नए चुनाव है, कोरोना महामारी की मार चुनाव पर इस कदर पड़ी है कि सदियों से चला आ रहा चुनावों का तरीका ही बदल गया। पांच राज्यों में कोविड सेफ इलेक्शन होने जा रहे है। स्पष्ट है कि सोशल मीडिया और आईटी सेल की असल महत्वता सभी राजनीतिक दलों को समझ आने वाली है। स्पष्ट ये भी है कि जिस पार्टी की जड़ें सोशल मीडिया और आईटी के पायदान पर मज़बूत होगी उनके लिए ये चुनाव कम कठिन होंगे। देश की सियासत में जब आईटी या सोशल मीडिया का जिक्र होता है तो बिना एक क्षण गवाएं भारतीय जनता पार्टी का नाम जुबां पर आ जाता है। ये अन्य पार्टियों के लिए फ़िक्र का विषय जरूर है।
देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा का सबसे बड़ा आईटी सेल है। वर्चुअल रैलियां और डिजिटल कैंपेन पार्टी के लिए कोई नई बात नहीं है। पार्टी कोरोना की पहली और दूसरी लहर में अपने कार्यकर्ताओं और जनता के बीच वर्चुअल और वेबिनार के माध्यम से अपनी बात नीचे तक पहुंचाती रही है। माना जाता है कि भाजपा के पास आईटी और सोशल मीडिया की पूरी प्रशिक्षित टीम है। पार्टी के पास प्रदेश से लेकर जिले तक वर्चुअल बैठक और मल्टीपल कॉन्फ्रेंस के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार है। ई-रैली के लिए खास तरह का सॉफ्टवेयर बनाया गया है, जिससे कुछ मिनटों में ही बड़े से लेकर छोटा कार्यकर्ता एक ही प्लेटफार्म पर जोड़ा जा सकता है। पार्टी के पास वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से एक हजार लोग और वेबिनार के माध्यम से करीब 50 हजार लोगों को जोड़ने का इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। सियासत के वर्चुअल दौर में निसंदेह भाजपा को इसका लाभ मिल सकता है।
क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के लिए तो ये चुनाव कठिन होंगे ही पर कांग्रेस भी वर्चुअल राजनैतिक आयोजनों में भाजपा की बनिस्पत कमतर ही दिखती आ रही है। हालांकि कोशिश बदस्तूर जारी है। कांग्रेस अपना डिजिटल कैंपेन शुरू कर चुकी है। उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी फेसबुक लाइव के माध्यम से भी लोगों से रूबरू हो रही है। बाकि दल भी डिजिटल रैलियों करने का खाका तैयार कर रहे है। परन्तु क्या इतने कम समय में ये भाजपा की सालों की मेहनत का मुकाबला कर पाएंगे। सच तो ये है कि अब तक कई बड़े नेताओं के ट्विटर और फेसबुक अकाउंट भी वेरिफाइड नहीं है। जाहिर है ऐसे में इनके लिए डगर मुश्किल होगी। इन चुनावों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे की फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम अहम भूमिका में रहेंगे। वर्तमान में पार्टी के आधिकारिक पेज पर कितने लोगों की मौजूदगी है, ये आंकड़े बता रहे है।
पार्टी ट्विटर पर फोल्लोवर फेसबुक पेज पर लाइक
( लगभग ) (लगभग )
भारतीय जनता पार्टी 17.3 M 15 M
आम आदमी पार्टी 5.8 M 4.3 M
कांग्रेस 8.4 M 5.7M
बहुजन समाज पार्टी 24.2K 90 K
समाजवादी पार्टी 2.8M 2.8M
तृणमूल कांग्रेस 544.3K 1.4M
रोड शो, रैली, पदयात्रा पर 15 तक रोक
चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक रोड शो, रैली, साइकिल रैली पद यात्रा तक रोक पूर्ण रूप से रोक लगा दी है।इसके अलावा रात आठ बजे से सुबह आठ बजे तक कोई प्रचार, जन संपर्क राजनीतिक पार्टियां नहीं कर सकेगी। विजय जुलूस भी नहीं निकाला जा सकेगा। 15 जनवरी के बाद पर इस पर विचार किया जाएगा।
690 विधानसभा में चुनाव
5 राज्यों के विधानसभा चुनाव हो जा रहे है और इन पांच राज्यों में कुल 690 विधानसभा क्षेत्र है। इन पांच राज्यों में कुल 43 राज्य सभा सीटें है। ऐसे में राष्ट्रीय राजनैतिक परिदृश्य के लिहाज से भी ये चुनाव महत्वपूर्ण है।
कुल 18.34 करोड़ मतदाता
पांच राज्यों के चुनाव में कुल 18.34 करोड़ मतदाता हैं, इनमें सर्विस मतदाता भी शामिल हैं। इनमें से 8.55 करोड़ महिला मतदाता हैं। कुल 24.9 लाख मतदाता पहली बार वोट डालेंगे। इनमें से 11.4 लाख लड़कियां पहली बार वोटर बनीं हैं।
चुनाव आयोग की तीन प्राथमिकता
चुनाव आयोग ने 3 लक्ष्यों पर काम किया है। ये लक्ष्य हैं कोविड सेफ इलेक्शन, सरल इलेक्शन, और मतदाताओं की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी। सभी बूथ ग्राउंड फ्लोर पर होंगे, ताकि लोगों को सुविधा हो। बूथ पर सैनिटाइजर, मास्क उपलब्ध होगा। 90 फीसद से ज्यादा मतदान करवाना इस बार चुनाव आयोग का लक्ष्य है।
एक घंटे बढ़ाया मतदान का समय
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में इस बार मतदान के लिए समय को एक घंटा बढ़ा दिया गया है। ऐसा कोरोना की वजह से किया गया है।
संवेदनशील बूथों पर होगी वीडियोग्राफी
संवेदनशील बूथों पर पूरे दिन वीडियोग्राफी होगी। पांचों राज्यों में एक लाख से ज्यादा बूथों पर लाइव वेबकास्ट होगा। ऑब्जर्वर भी ज्यादा संख्या में तैनात होंगे।
ये डालेंगे बैलेट पेपर से वोट
सभी बूथ पर पुरुष और महिला सुरक्षाकर्मी तैनात होंगे। दिव्यांगों के लिए हर बूथ पर विशेष इंतजाम होंगे और व्हील चेयर भी उपलब्ध होगी। कोविड संक्रमित या कोविड संदिग्ध के घर वीडियो टीम के साथ आयोग की टीम विशेष वैन से जाएगी और वोट डलवा कर आएगी। इन्हें बैलेट पेपर से वोट डालने का अधिकार मिलेगा।
ज्यादा संख्या में मतदान केंद्र
कोविड की स्थिति को देखते हुए मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाएगी। चुनाव आयुक्त के अनुसार इस बार 1250 मतदाताओं पर एक बूथ बनाया गया है। पिछले चुनाव की तुलना में 16 फीसदी बूथ बढ़ गए हैं।
चुनाव आयोग ने लांच की दो नई ऐप
कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए चुनाव आयोग सुविधा ऐप्लिकेशन लॉन्च की है, इसके जरिए कोई भी उम्मीदवार ऑनलाइन नॉमिनेशन फाइल कर सकेगा। इस तरह की सुविधा भी आयोग द्वारा पहली बार दी जाएगी। इसी तरह चुनाव के दौरान किसी भी गलत गतिविधि के लिए CVIGIL ऐप्लिकेशन पर शिकायत दर्ज की जाएगी।
जाने किस दिन कहाँ होगा मतदान
उत्तर प्रदेश : 10 फरवरी से सात फेज में वोटिंग, 10 मार्च को मतगणना
पहला फेज- 10 फरवरी को होगा
दूसरा फेज-14 फरवरी
तीसरा फेज- 20 फरवरी
चौथा फेज- 23 फरवरी
पांचवां फेज- 27 फरवरी
छठा पेज- 3 मार्च
सातवां फेज- 7 मार्च
मणिपुर: 27 फरवरी और 3 मार्च को वोटिंग, 10 मार्च को मतगणना
पंजाब : 14 फरवरी को वोटिंग, 10 मार्च को काउंटिंग
गोवा: 14 फरवरी को वोटिंग, 10 मार्च को मतगणना
उत्तराखंड : 14 फरवरी को वोटिंग, 10 मार्च को मतगणना