गेम चेंजर हो सकते है 'आप' के लिए ये चुनाव

ये निर्विवाद तथ्य है कि देश में इस वक्त भाजपा सबसे मजबूत राजनैतिक दल है और उसे टक्कर देने में मोटे तौर पर कांग्रेस विफल रही है। बीते कुछ वर्षों में जहां कांग्रेस लगातार कमजोर होती दिखी है, वहीं कुछ छोटे और क्षेत्रीय राजनैतिक दल प्रभावशाली साबित हुए है। इनमें दो नाम प्रमुख है, आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस। दिल्ली में कामयाबी से अपनी सरकार चलाने के बाद आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के विस्तार में जुटी है। पंजाब में वह पहले ही प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका में है और अब बाकी राज्यों में भी पूरी कोशिश की जा रही है। आगामी दो -तीन माह में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है जिनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर शामिल है। इनमें से चार राज्यों में आम आदमी पार्टी मैदान में है , विशेषकर पंजाब, गोवा और उत्तराखंड में पार्टी दमखम के साथ मैदान में है। खास बात ये है कि देश के दो बड़े राजनीतिक दल, यानी भाजपा और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी एक मात्र ऐसी पार्टी है जो चार राज्यों में चुनाव लड़ रही है। माहिर मान रहे है कि इन चुनावों के नतीजे यदि सकारात्मक आये तो आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय राजनीति के पटल पर लम्बी छलांग लगा सकती है। पंजाब की बात करें तो दिल्ली के अलावा पंजाब ही वो राज्य है जहां आप को वोटर्स का अच्छा प्यार मिला है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद आप ने पंजाब की चार सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में आप ने 20 सीटों पर जीत दर्ज कि थी और वो पंजाब की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी। विपक्ष में रहते पार्टी लगातार पांच साल सक्रिय रही और पार्टी को उम्मीद है कि पंजाब में वह इस बार सत्ता हासिल करने में सफल होगी। पर यहाँ चेहरा न होना पार्टी के लिए समस्या का सबब है। बावजूद इसके जानकार पंजाब में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और आप के बीच ही मानकर चल रहे है।
आम आदमी पार्टी गोवा में भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है। कोरोना काल में पार्टी लगातार गोवा में सक्रिय रही है और कमजोर कांग्रेस ने भी उसकी राह आसान की है। सत्तारूढ़ भाजपा को लेकर राज्य में कुछ एंटी इंकम्बैंसी जरूर है और आप की नजर इसी सत्ता विरोधी वोट पर है। पार्टी यहाँ चेहरा देने की बात भी कर रही है। पर समस्या ये है कि राज्य में बेशक कांग्रेस कमजोर हो लेकिन उसका काडर वोट नकारा नहीं जा सकता। दूसरा तृणमूल कांग्रेस भी गोवा में पूरी ताकत झोंक रही है। ऐसे में यदि सत्ता विरोधी वोट बंटता है तो आप की राह मुश्किल होगी। बहरहाल आप गोवा में बेहतर करने का दावा कर रही है और निसंदेह जमीनी हकीकत ये ही है कि आप आगामी विधानसभा चुनाव में दमदार उपस्थिति दर्ज करवा सकती है।
उत्तराखंड में मिल सकती है कामयाबी
उत्तराखंड में पार्टी भले ही सत्ता पर काबिज़ न हो पाए लेकिन उत्तराखंड में इस बार आप अपनी उपस्तिथि दर्ज करवाने में कामयाब रह सकती है। उत्तराखंड में तो पार्टी सीएम फेस भी घोषित कर चुकी है और दिल्ली की सियासी प्रयोगशाला का कामयाब फार्मूला यहाँ दोहरा रही है। उत्तराखंड में आप को कितना समर्थन मिलता है ये देखना दिलचस्प होगा। वहीँ उत्तरप्रदेश में भी पार्टी अपनी मौजूदगी दर्ज करवाने की जद्दोजहद में है। उत्तर प्रदेश में पार्टी गठबंधन कि राह पर भी आगे बढ़ सकती है और खासतौर से एनसीआर व साथ लगते क्षेत्रों में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद में है।
हिमाचल में दिशा तय करेंगे ये नतीजे !
चार राज्यों में आम आदमी का प्रदर्शन यदि बेहतर रहा तो पार्टी का मजबूती से हिमाचल के सियासी दंगल में भी उतरना तय है। हालांकि पार्टी अभी से सभी 68 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है लेकिन ये रण नगर निगम चुनाव की भांति महज औपचारिक होगा या दमखम से लड़ाई होगी, ये पंजाब, गोवा और उत्तराखंड के नतीजे तय करेंगे। ऐसे में प्रदेश के सियासतगरों की नजर भी आप पर जरूर रहेगी।