उपचुनाव में कांग्रेस की ताकत बने कर्नल शांडिल
चार उपचुनाव में शानदार जीत के बाद कांग्रेस में जश्न का माहौल है और पार्टी में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। जिस अदद जीत के टॉनिक की पार्टी को जरुरत थी वो आखिरकार मिल गया। इस जीत में कई नेताओं की बड़ी भूमिका रही है और सभी उक्त नेताओं के निष्ठावान भी अपने-अपने चहेते नेताओं को जीत का श्रेय दे रहे है। पर कांग्रेस में एक कद्दावर नेता ऐसे भी है जो चुपचाप उपचुनाव में अपना काम करते रहे और जीत के बाद भी क्रेडिट लेने के लिए ज्यादा हाथ पाँव नहीं मारते दिखे। ये नेता है सोलन विधायक डॉ कर्नल धनीराम शांडिल। शांडिल अर्की उपचुनाव के लिए प्रभारी थे और पार्टी के स्टार प्रचारक भी। उपचुनाव में संजय अवस्थी को टिकट देने के बाद अर्की में खुलकर बगावत हुई, ब्लॉक कांग्रेस के कई पदाधिकारियों ने इस्तीफा दिया और भाजपा ने पूरी ताकत लगाईं, बावजूद इसके कांग्रेस को शानदार जीत मिली।
इस जीत में शांडिल की भी बड़ी भूमिका है। जब राजेंद्र ठाकुर ने खुलकर संजय अवस्थी के खिलाफ मोर्चा संभाला तो शांडिल वो नेता है जो राजेंद्र ठाकुर को मनाने कुनिहार पहुंच गए। हालांकि ठाकुर माने नहीं लेकिन शांडिल ने पूरा प्रयास किया और मतदान के दिन तक ठाकुर के समर्थकों को भी साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सोलन निर्वाचन क्षेत्र के साथ लगते अर्की के कई ग्रामीण क्षेत्रों में भी शांडिल अच्छा प्रभाव रखते है और उक्त क्षेत्रों में भी इसका लाभ अवस्थी को मिला। प्रचार के बीच भाजपा के पूर्व विधायक गोविंद राम शर्मा के साथ शिमला में कर्नल शांडिल की मुलाकात को लेकर भी खूब चर्चे हुए। कर्नल धनीराम शांडिल जुब्बल कोटखाई उपचुनाव में भी पार्टी के लिए निरंतर प्रचार करते दिखे। अपनी चिर परिचित शैली में कर्नल ने यहाँ मुद्दों की बात की और निसंदेह पार्टी को इसका लाभ भी मिला। कर्नल की खूबी ये है कि वे न तो हवा हवाई वादे करते है और न बिना तर्क के कोई मुद्दा उठाते है। अलबत्ता वे बहुत अच्छे वक्ता नहीं है लेकिन बदलते दौर की सियासत और जागरूक होते मतदाताओं के बीच शांडिल अच्छा प्रभाव छोड़ते है।
मंडी संसदीय सीट के उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी प्रतिभा सिंह का कारगिल युद्ध को लेकर दिया गया एक बयान पार्टी की मुश्किलें बढ़ता दिख रहा था। हालांकि उन्होंने इस पर अपना स्पष्टीकरण दे दिया था, फिर भी विशेषकर सैनिक वोट पार्टी से नाराज़ न हो ये बड़ी चिंता थी। ऐसे में पार्टी के थिंक टैंक को याद आये कर्नल शांडिल। कर्नल ने प्रतिभा सिंह के समर्थन में कई जनसभाएं की और राजनीति में सेना के नाम के इस्तेमाल पर भाजपा पर जबरदस्त अटैक किया। कर्नल ने 1965 और 1971 के युद्ध में मिली जीत भी याद दिलाई और ये भी याद दिलाया कि कांग्रेस ने कभी इसके नाम पर वोट नहीं मांगे।
वो बेदाग नाम जिसपर विरोधी भी कीचड़ नहीं उछाल पाएं
डॉ कर्नल धनीराम शांडिल हिमाचल की सियासत का वो बेदाग़ नाम है जिस पर विरोधी भी कभी कीचड़ नहीं उछाल पाएं। वीरभद्र सरकार के खिलाफ वर्ष 2016 में भाजपा एक चार्जशीट लाई जिसमे कांग्रेस के मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप थे। तब भाजपा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, बेटे विक्रमादित्य सिंह, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू, 10 मंत्रियों, 6 सीपीएस और 10 बोर्ड-निगम-बैंकों के अध्यक्ष-उपाध्यक्षों समेत कुल 40 नेताओं और एक अफसर पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। पर उस चार्जशीट में भी कर्नल धनीराम शांडिल का नाम नहीं था। यानी विपक्ष भी कभी उनकी ईमानदारी पर सवाल नहीं उठा पाया। एक बात और कर्नल शांडिल की खूबी है, वो है उनकी गुटबाजी से दुरी। प्रदेश कांग्रेस में कई धड़े है, पर शांडिल किसी भी गुट में शामिल नहीं है।