बरकरार है होली लॉज का तिलिस्म
लोकसभा के नतीजे सामने आने के बाद स्पष्ट हो गया की मंडी सबकी है और सबकी रहेगी। जिस तरह मुख्यमंत्री के गढ़ को कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह ने भेदा है मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर का 'मंडी हमारी है, हमारी थी और हमारी ही रहेगी' का नारा भी हवा हवाई हो गया। मंडी लोकसभा का उपचुनाव जीतकर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने ज़बरदस्त वापसी की है। इस जीत से प्रदेश की राजनीति में प्रतिभा सिंह का कद और भी बढ़ गया है। विक्रमादित्य सिंह की गिनती भी अब प्रदेश के बड़े नेताओं में होने लगी है। स्पष्ट है कि वीरभद्र के जाने के बावजूद भी होली लॉज के तिलिस्म में कोई कमी नहीं आएगी। होली लॉज अब भी प्रदेश की सियासत की धुरी बना रहेगा। सिर्फ वीरभद्र परिवार ही नहीं इस जीत के बाद मंडी लोकसभा में लगभग हाशिये पर जा चुकी कांग्रेस भी मानों दोबारा जीवित हो उठी है।
संगठन और कार्यकर्ताओं में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है।भाजपा के लिए ये हार जितनी बड़ी है उतनी ही बड़ी ये जीत कांग्रेस को मिली है। पर इसमें कोई संशय नहीं है कि यदि यहाँ उम्मीदवार प्रतिभा सिंह नहीं होती तो नतीजा भी संभवतः अलग होता। यानि मोटे तौर पर ये जीत प्रतिभा सिंह की जीत है, होली लॉज की जीत है। कारगिल युद्ध पर दिए गए बयान को छोड़ दिया जाएं तो जिस तरह उन्होंने इस चुनाव को लड़ा है वो भी काबिल ए तारीफ है। प्रतिभा सिंह ने वीरभद्र सिंह द्वारा किये गए विकास कार्यों के साथ- साथ महंगाई और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों को मुख्य तौर पर उठाया और सीधे जनता से कनेक्ट करने में कामयाब रही। इस जंग में उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह का सबसे बड़ी भूमिका रही। खास बात ये है कि मां - बेटे ने एकसाथ प्रचार न करके अलग -अलग मोर्चा संभाला और इस दोतरफा सियासी आक्रमण के आगे भाजपा परास्त हुई।
दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के गढ़ रहे रामपुर और जनजातीय क्षेत्रों से प्रतिभा सिंह को मिली बढ़त ने भी कांग्रेस की जीत की राह आसान कर दी। रामपुर के लोगों ने बंपर वोटिंग करते हुए प्रतिभा सिंह को 20000 मतों की बढ़त देकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह विधानसभा क्षेत्र सराज से भाजपा को मिली लीड को न्यूट्रलाइज कर दिया। किन्नौर जिले से करीब 5000, लाहौल स्पीति से 2100 और भरमौर से कांग्रेस को 4100 की लीड प्रतिभा को मिली। बाकी की कसर कुल्लू जिले के कुल्लू, मनाली, बंजार और आनी विधानसभा क्षेत्र ने पूरी कर दी। यहां से कांग्रेस को चौदह हजार से ज्यादा की बढ़त मिली जो ब्रिगेडियर कुशल चंद ठाकुर कवर नहीं कर पाए।
सियासी क्षितिज पर बिखेरी काबिलियत की चमक
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के उपरांत सबकी निगाहें विक्रमादित्य सिंह पर टिकी थी और आलोचकों का मानना था कि विक्रमादित्य के लिए अकेले दम पर खुद को साबित करना मुश्किल होने वाला है। कहा जा रहा था की वीरभद्र विरोधी गुट उन्हें टिकने नहीं देगा और अपनों की महत्वकांक्षाएं उनके सियासी कद को बौना ही रखेगी। पर जिस तरह विक्रमादित्य सिंह ने सियासी क्षितिज पर अपनी काबिलियत की चमक बिखेरी है वो कई माहिरों को भी हैरान कर रही है। लोगों से सीधा संवाद उन्हें लोकप्रिय बना रहा है, खासतौर से सोशल मीडिया का उन्होंने बेहद उम्दा इस्तेमाल किया है। पर सियासत महाठगिनी है और विक्रमादित्य सिंह का असल इम्तिहान अभी बाकी है। अपनी ही अलग तरह की सियासत कर रहे विक्रमादित्य के हर कदम पर इस वक्त हर सियासी अपने बेगाने की नजर होगी। उनकी जरा सी चूक का इंतज़ार कई विरोधियों को होगा। पर उन्हें हल्के में लेने की गलती शायद ही कोई कर रहा हो।