पीएम मोदी ने किया था वादा, पर नहीं ली टमाटर किसानों की सुध
फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट - 2014 में किया था वादा, 2019 में पीएम मोदी ने ज़िक्र तक नहीं किया
सिटी ऑफ रेड गोल्ड सोलन के किसान लम्बे समय से टमाटर आधारित फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट की मांग करते आ रहे है। अमूमन हर चुनाव में सियासी दल फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट का वादा करते है और ऐसा दशकों से होता आ रहा है, किन्तु अब तक सोलन को फ़ूड प्रोसेसिंग पालनट नहीं मिला। टमाटर का समर्थन मूल्य तय करने की मांग भी किसान संगठन लम्बे वक्त से करते आ रहे है पर इस दिशा में भी किसानों को आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला।ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि जो टमाटर जिला के हजारों किसान परिवारों के लिए जीवनयापन का जरिया है वो शायद शासन और तंत्र के लिए सिर्फ राजनीति की वस्तु है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वर्ष 2014 में सोलन रैली में किसानों से टमाटर के समर्थन मूल्य व फूड प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की बात कह चुके है। तब वे प्रधानमंत्री नहीं थे, प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे। खेर, नरेंद्र मोदी के प्रधानमन्त्री बनने के बाद उम्मीद जगी कि शायद सरकार टमाटर किसानों की सुध लेगी। परंतु कुछ नहीं बदला। दिलचस्प बात ये है कि 2019 में जब नरेंद्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री सोलन आये तो उन्होंने न फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट का ज़िक्र किया और न ही टमाटर के समर्थन मूल्य का।
मवेशियों को खिलने पड़ते है टमाटर
कूल उत्पादन का करीब 70 फीसदी सोलन-सिरमौर से
उल्लेखनीय है कि सोलन प्रदेश का सबसे बड़ा टमाटर उत्पादक है। प्रदेश के कूल टमाटर उत्पादन का करीब 40 फीसदी से अधिक अकेले सोलन शहर से आता है। वहीं संसदीय क्षेत्र के एक अन्य जिला सिरमौर का योगदान कुल उत्पादन का करीब 30 फीसदी है। यहां के हजारों परिवार जीवन यापन के लिए टमाटर खेती पर आश्रित है। विडंबना ये है कि अधिक उत्पादन की स्थिति में किसानों को टमाटर का उचित मूल्य नहीं मिल पाता। कई मर्तबा तो हालात इतने बदतर हो जाते है कि टमाटर मवेशियों को खिलाने पड़ते है।
दो दशकों से है चुनावी मुद्दा
सोलन में टमाटर आधारित फूड प्रोसेसिंग यूनिट करीब दो दशकों से चुनावी मुद्दा है। अमुमन हर चुनाव में किसान वोट हतियाने के लिए नेता फूड प्रोसेसिंग यूनिट का ख्वाब दिखाते है , वोट बटोरते है और फिर भूल जाते है । खासतौर से लोकसभा पहुंचने के लिए टमाटर फैक्टर का भरपूर इस्तेमाल होता आया है।
बॉर्डर पर तनाव, किसानों का नुक्सान
गौर हो कि सोलन से टमाटर आमतौर पर पाकिस्तान एक्सपोर्ट किया जाता है । इसी के चलते किसानो को अधिक उत्पादन होने पर राहत मिलती है । साथ ही उन्हें उचित मुल्य भी मिलता है। किन्तु अगर बॉर्डर पर तनाव हो तो व्यापारी एक्सपोर्ट से परहेज करते है जिसका खमियाजा किसानो को भी भुगतना पड़ता है। ऐसे में स्थानीय फूड प्रोसेसिंग यूनिट होने से किसानो का आर्थिक नुक्सान कम किया जा सकता है।
वोट के लिए हुआ है किसान का इस्तेमाल - हिमाचल किसान सभा
भाजपा व कांग्रेस दोनों ही राजनैतिक दलों ने सिर्फ वोट के लिए टमाटर किसान का इस्तेमाल किया है।खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने भी मई 2014 में सोलन में हुई रैली में फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट व एमएसपी का वादा किया था, लेकिन हुआ कुछ नहीं। इतना ही नहीं जो टमाटर बाजार में किलोग्राम के हिसाब से बेचा जाता है, उसे किसान से क्रेट के हिसाब से ख़रीदा जाता है , जो किसान के साथ नाइंसाफी है।
-डॉ कुलदीप तंवर, अध्यक्ष, हिमाचल किसान सभा।