अधूरी-पूरी गारंटियों पर सियासत पूरी-पूरी
( words)
- अधूरी गारंटियों पर विपक्ष सवाल भी कर रहा हैं और बवाल भी
- जल्द कुछ और गारंटियां पूरी कर सकती हैं सरकार
- सबसे बड़ी चुनौती हैं महिलाओं को 1500 रुपये देना
- हिमाचल के 'ट्राइड एंड टेस्टेड' गारंटी मॉडल पर अन्य राज्यों में लड़ रही कांग्रेस
'तुझ को देखा तेरे वादे देखे, ऊँची दीवार के लम्बे साए'...सियासत में सत्ता के लिए बड़े - बड़े वादे कर देना पुराना रिवाज रहा है। सत्ता के लिए राजनैतिक दल तरह-तरह के वादे करते आएं है। रोटी-कपड़ा-मकान से लेकर पंद्रह लाख तक के वादे। वक्त बदला और जनता जागरूक होती रही, तो सियासी दलों ने भी वादों का तौर तरीका बदल दिया। यानी सामान तक़रीबन वो ही पुराना लेकिन पैकिंग नई। हाल-फिलहाल के दिनों में कांग्रेस ने भी अपने चुनावी वादों को 'गारंटी' का नाम दे दिया है। इसकी शुरुआत हुई थी पिछले साल हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से और आज कांग्रेस प्रदेश की सत्ता पर काबिज हैं। फिर कर्नाटक चुनाव में भी जनता ने कांग्रेस की गारंटियों पर एतबार किया और अब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस अपने इसी 'ट्राइड एंड टेस्टेड' गारंटी मॉडल पर मैदान में हैं। ये तो बात हुई कांग्रेस के नए चुनावी अस्त्र की, पर गारंटी देना अलग बात हैं और उसे पूरी करना अलग बात। हिमाचल प्रदेश में सरकार की अधूरी गारंटियों पर विपक्ष सवाल भी कर रहा हैं और बवाल भी। जाहिर हैं कुछ सवाल जनता के मन में भी हैं, तो सरकार ने भी पुरानी पेंशन बहाल कर अपनी मंशा जरूर दर्शाई हैं। हालांकि सरकार के अनुसार तो तीन गारंटियां पूरी हो चुकी है।
सुक्खू सरकार का साल होने को हैं। सरकार अपनी उपलब्धियों का बखान कर रही है, तो इस सियासी मौके और दस्तूर के मद्देनजर विपक्ष उन गारंटियों का लेखा-जोखा मांग रहा हैं जिनके बुते कांग्रेस सत्ता में लौटी। एक साल बीत चुका हैं तो अब सवालों का स्वर बुलंद होना लाजमी हैं। भाजपा महिलाओं के खाते में 1500 रुपये से लेकर, 300 यूनिट मुफ्त बिजली, दूध और गोबर की खरीद सहित उन गारंटियों पर सरकार को घेर रही हैं, जो अधूरी हैं। उधर, सरकार पुरानी पेंशन बहाल कर चुकी हैं, साथ ही दावा कर रही है कि तीन गारंटियां पूरी हो चुकी है। 680 करोड़ रुपये की राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना को शुरू करना दूसरी और अगले शैक्षणिक सत्र से पहली कक्षा से अंग्रेजी माध्यम के स्कूल आरम्भ करना तीसरी गारंटी है। अब क्या पूरा और क्या अधूरा, इसे राजनैतिक दल अपनी सहूलियत से तय कर रहे है। बहरहाल, चंद महीने में लोकसभा चुनाव होने हैं और वहां जवाब विपक्ष नहीं, बल्कि जनता मांगेगी। ये ही कारण हैं कि सरकार एक्शन मोड में दिखने लगी हैं और मुमकिन हैं जल्द कुछ और गारंटियां पूरी कर दी जाएँ।
बताया जा रहा हैं कि जल्द हिमाचल सरकार किसानों से गोबर खरीद करने की तैयारी में है। कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे गोबर खरीद से पहले ब्लॉक स्तर पर क्लस्टर तैयार करें, जिसके बाद विभाग संबंधित ब्लॉक से किसानों से गोबर खरीदना शुरू करेगा। इसके अलावा मोबाइल क्लिनिक और पशु पालकों से हर दिन दस लीटर दूध खरीद की गारंटी को भी जल्द पूरा किया जा सकता हैं। जाहिर हैं कांग्रेस भी लोकसभा चुनाव से पहले पूरी हुई गारंटियों की संख्या बढ़ाना चाहेगी।
इन 3 गारंटियों ने बनाई थी कांग्रेस की हवा !
बहरहाल आपको याद दिलाते कांग्रेस की दस गारंटियों में से वो तीन गारंटियां जिसने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना दिया था। पहली गारंटी ओपीएस हिमाचल के कर्मचारियों से जुड़ी थी जिसे पार्टी ने पूरा भी कर दिया। दूसरी गारंटी थी मुफ्त बिजली की यूनिट्स बढ़ाकर प्रतिमाह 300 करना। इससे प्रदेश का हर व्यक्ति प्रभावित होता हैं और ये गारंटी अब भी अधूरी हैं। अब सर्दी के दिनों में बिजली की खपत और बिल दोनों बढ़ेंगे, और आम लोगों को ये गारंटी जरूर याद आएगी। वहीँ आधी आबादी यानी महिलाओं को 1500 रुपये प्रतिमाह देने की गारंटी भी अधूरी हैं। माना जाता हैं कि महिलाओं ने कांग्रेस को बढ़चढ़ कर वोट दिया था ,लेकिन अब तक 1500 रुपये नहीं मिले। अब नाराजगी की झलक दिखने लगी हैं और इसे भांपते हुए भाजपा भी इसी पर कांग्रेस को ज्यादा घेर रही हैं। प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति में सरकार इसे कैसे पूरा करती हैं, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं। ऐसे में इसे पूरा करना कांग्रेस के लिए गले की फांस हैं।
लोस चुनाव में बड़ा फैक्टर :
हिमाचल प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों पर 2014 और 2019 में कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हुआ था। 2019 में तो हार का अंतर इतना रहा कि रिकॉर्ड बन गए। पर 2021 के उपचुनावों से प्रदेश में कांग्रेस के लिए सब कुछ अच्छा घटा हैं। ऐसे में कांग्रेस को अब 2024 में सम्भावना दिखना स्वाभाविक हैं। लाजमी हैं ऐसे में पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेगी और अधिक से अधिक गारंटियां पूरी कर चुनाव में उतरने की कोशिश में होगी। ज्यादा अधूरी गारंटियां पार्टी की सम्भावनों पर भारी पड़ सकती हैं।